पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी श्रद्धांजलि।
Haridwar / Tushar Gupta
राष्ट्रपति राम नाथ कोविद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी 96 वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी। वाजपेयी के “दूरदर्शी नेतृत्व” को याद करते हुए, मोदी ने “देश को विकास की अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर ले जाने” का श्रेय भाजपा को दिया। एक ट्वीट में, मोदी ने कहा, "पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी जयंती पर सलाम ... एक मजबूत और समृद्ध भारत बनाने के उनके प्रयासों को हमेशा याद किया जाएगा।"
25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म हुआ. अटल के पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी और मां कृष्णा देवी थे. वाजपेयी का संसदीय अनुभव पांच दशकों से भी अधिक का विस्तार लिए हुए है.अटल बिहारी वाजपेयी 1951 से भारतीय राजनीति का हिस्सा बने. उन्होंने 1955 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे. इसके बाद 1957 में वह सांसद बने. अटल बिहारी वाजपेयी कुल 10 बार लोकसभा के सांसद रहे. वहीं वह दो बार 1962 और 1986 में राज्यसभा के सांसद भी रहे. इस दौरान अटल ने उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली और मध्य प्रदेश से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीते. वहीं वह गुजरात से राज्यसभा पहुंचे थे.अपनी भाषणकला, मनमोहक मुस्कान, वाणी के ओज, लेखन व विचारधारा के प्रति निष्ठा तथा ठोस फैसले लेने के लिए विख्यात वाजपेयी को भारत व पाकिस्तान के मतभेदों को दूर करने की दिशा में प्रभावी पहल करने का श्रेय दिया जाता है. इन्हीं कदमों के कारण ही वह बीजेपी के राष्ट्रवादी राजनीतिक एजेंडे से परे जाकर एक व्यापक फलक के राजनेता के रूप में जाने जाते हैं.
1 और 13 मई 1998 को पोखरण में पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट कर अटल बिहारी वाजपेयी ने सभी को चौंका दिया. यह भारत का दूसरा परमाणु परीक्षण था. इससे पहले 1974 में पोखरण 1 का परीक्षण किया गया था. दुनिया के कई संपन्न देशों के विरोध के बावजूद अटल सरकार ने इस परीक्षण को अंजाम दिया, जिसके बाद अमेरिका, कनाडा, जापान और यूरोपियन यूनियन समेत कई देशों ने भारत पर कई तरह की रोक भी लगा दी थी जिसके बावजूद अटल सरकार ने देश की जीडीपी में बढ़ोतरी की. पोखरण का परीक्षण अटल बिहारी वाजपेयी के सबसे बड़े फैसलों में से एक है.
कविताओं को लेकर उन्होंने कहा था कि मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं. वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय संकल्प है. वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है. उनकी कविताओं का संकलन ‘मेरी इक्यावन कविताएं’ खूब चर्चित रहा जिसमें..हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा..खास चर्चा में रही.