मुख्यमंत्री पर कथित भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर बुरे फंसे पूर्व विधायक लाखीराम जोशी, पहले पार्टी ने किया निलंबित, अब हो सकता है मुकदमा, जानें पूरा मामला

हरिद्वार ब्यूरो

हरिद्वार। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर कथित भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोरने वाले टिहरी से पूर्व विधायक लखीराम जोशी मुसीबत में पड़ गए हैं पहले भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया है और अब हरिद्वार न्यायालय में उनके खिलाफ वाद दायर करने की तैयारी चल रही है दरअसल 11 नवंबर को पूर्व विधायक लखीराम जोशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर कई भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की थी, उसके बाद उन्होंने उस पत्र को सोशल मीडिया पर वायरल कर राजनीतिक गलियारों में खूब सुर्खियां बटोरी थी, जिस पर पार्टी ने अनुशासनहीनता की कार्यवाही करते हुए लाखीराम जोशी को पार्टी से निलंबित कर दिया है जिसके बाद से उनकी मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं ।

हरिद्वार जिला न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भदोरिया ने लाखीराम जोशी को लीगल नोटिस भेजकर प्रदेश की जनता से सार्वजनिक क्षमा याचना करने और भविष्य में इस तरह की पुनरावर्त्ति न करने की बात लिखित में देने को कहाँ गया है ऐसा न करने पर उनके खिलाफ सक्षम न्यायालय में वाद दायर करने की चेतावनी भी दी गई है,

अरुण भदोरिया ने नोटिस में कहां है कि आपके द्वारा 11 नवंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर कथित भ्र्ष्टाचार के आरोप लगाते हुए एक पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखकर उसे सोशल मीडिया पर डाला गया है नोटिस में उन्होंने कहा है कि भाजपा एक विशाल परिवार है और प्रदेश में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार जीरो टोलरेंस पर काम कर रही है मुख्यमंत्री के 3 वर्षों के कार्यकाल में प्रदेश में किसी भी प्रकार का कोई घोटाला या भ्रष्टाचार का मामला सामने नहीं आया है उनकी कार्यशैली भ्रष्टाचार मुक्त है वह सबका साथ और सबके विकास की नीति पर कार्य कर रहे हैं जो उनके विरोधियों को रास नहीं आ रही है, आपके द्वारा एक पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री पर मनगढ़ंत आरोप लगाए गए हैं आप ने पत्र में लिखा है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कई ऐसे विवादास्पद निर्णय रहे हैं जिससे पार्टी और सरकार की फजीहत हुई है लेकिन आपने पत्र में एक भी विवादास्पद निर्णय का जिक्र नहीं किया है,
आप ने मुख्यमंत्री की छवि खराब करने के लिए अनर्गल, बेबुनियाद तथ्यों को सोशल मीडिया में वायरल करके आपने सरकार और भारतीय जनता पार्टी को भी नुकसान पहुंचाया है आपने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत को शिकायती पत्र ना देकर सीधे प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आपने प्रोटोकॉल का भी उल्लंघन किया है आपने सोशल मीडिया पर पत्र को डालकर जानबूझकर सस्ती लोकप्रियता बटोरने के लिए ईमानदार व भ्रष्टाचार मुक्त राज्य सरकार एवं भारतीय जनता पार्टी को कटघरे में खड़ा कर दिया है, इसके लिए आप पूरी तरह से जिम्मेदार हैं।

आपने त्रिवेंद्र सिंह रावत पर झारखंड का प्रभारी रहते हुए नोटबंदी के दौरान अपने करीबियों के खाते में पैसे डालने के मिथ्या आरोप लगाए हैं पर आप ने यह नहीं बताया कि कौन से बैंक में पैसे डाले गए हैं और किस के खाते में पैसे डाले गए हैं आपने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर झूठे मनगढ़ंत भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर मेरी और प्रदेशवासियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है जिसके लिए आपको लीगल नोटिस दिया जाता है नोटिस प्राप्ति के 3 दिन के भीतर इन झूठे आरोपों को लेकर आप प्रदेश की जनता से क्षमा मांगे एवं इसकी पुनरावृत्ति ना हो इसे लिखित में देवें नहीं तो आप के खिलाफ सक्षम न्यायालय में वाद दायर किया जाएगा, जिसके हर्जे व खर्चे की समस्त जिम्मेदारी आपकी होगी,

अधिवक्ता अरुण भदोरिया द्वारा यह नोटिस 13 नवंबर को दिया गया था जोकि उन्हें प्राप्त हो चुका है और 3 दिन भी बीत गए हैं लखीराम जोशी द्वारा अभी तक प्रदेश की जनता से माफी नहीं मांगी गई है लिहाजा अब अधिवक्ता द्वारा उनके खिलाफ सक्षम न्यायालय में वाद दायर करने की तैयारी चल रही है जल्द ही वाद दायर हो सकता है।

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