पर्यावरण से छेड़छाड़ ,देना पड़ा चमोली को बलिदान – रिद्धिमा पांडे
Haridwar/Tushar Gupta
उत्तराखंड के चमोली में तपोवन-रैणी आपदा होने के बाद लोगों को यह विश्वास हो गया है कि पहाड़ों में अगर डैम और सड़कों से एक जगह विकास हो रहा है, तो दूसरी ओर पर्यावरण जीव ,जंतु और मानव को खासा भुगतान भरना पड़ रहा है।
वो 1 इस पर्यावरण और मानव हत्या पर बीबीसी की 100 महिलाओं की सूची मैं आने वाली पर्यावरण कार्यकर्ता रिद्धिमा पांडे द्वारा सरकार की नीति जैसे सड़क निर्माण के लिए बॉम्ब ब्लास्टिंग , पावर प्रोजेक्ट और डैम को आपदा का जिम्मेदार बताया ।उन्होंने कहा चमोली के लोग जहां से चिपको आंदोलन गौरा देवी का जन्म हुआ है वहां के लोग कितने जागरूक होंगे यह तो सब जानते ही है। उन्होंने यह भी कहा कि ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट ,डैम और सड़क निर्माण के लिए बॉम्ब ब्लास्टिंग की वजह से वहां के आम लोगों को भूकंप जैसी दिक्कतें भी आई, जिस की अपील वहां के नागरिकों ने हाईकोर्ट में भी की थी। रिद्धिमा पांडे ने सरकार को इसका जिम्मेवार बताया उन्होंने बोला की नंदा देवी का क्षेत्र प्राकृतिक संवेदनशील क्षेत्र है पर इसके बावजूद भी सरकार द्वारा वहां पर निर्माण किए जा रहे हैं ।उन्होंने आखिर में यह भी कहा की हेलीकॉप्टर से बहुत सारे लोग आए और वहां का जायजा लेकर चले गए पर चमोली और तपोवन में रहने वाले लोग ही इस भयानक आपदा से गुजरे और जो 200 लोग इस आपदा में मरे हैं उनके परिवार वाले ही जानते हैं कि इस आपदा का दुख कितना बड़ा है।