“विश्व रेडक्रॉस दिवस” पर संगोष्ठी का किया गया आयोजन…
हरिद्वार। जिलाधिकारी धीरज सिंह गर्ब्याल, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मनीष दत्त के निर्देशन में रेडक्रॉस सचिव डॉ. नरेश चौधरी के संयोजन में विश्व रेडक्रॉस दिवस के उपलक्ष्य ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के सभागार में संगोष्ठी का आयोजन वर्ष 2024 की थीम “Keeping Humanity Alive “ मानवता को जीवित रखना विषय पर किया गया। इंडियन रेडक्रॉस सचिव डॉ. नरेश चौधरी ने रेडक्रॉस स्वयंसेवकों का को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व रेडक्रॉस दिवस 2024 अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस और रेड क्रिसेंट आंदोलन के मानवीय कार्यों और सिद्धांतों का सम्मान करने के लिए विश्व रेडक्रॉस दिवस पर आयोजित एक वार्षिक उत्सव है, यह दिन रेडक्रॉस एवं रेड क्रिसेंट मूवमेंट के महत्वपूर्ण मानवीय मूल्यों और गतिविधियों को उजागर करने के अवसर के रूप में कार्य करता है। डॉ. नरेश चौधरी ने कहा कि इस वर्ष का विषय मानवता के लिए समर्पण उन सभी स्वयंसेवकों और कर्मचारियों की सराहना करता है, जो संपूर्ण दुनिया में रेडक्रॉस और रेड क्रिसेंट के लिए समर्पित हैं। रेडक्रॉस संपूर्ण विश्व विश्व में जरूरतमंदों की सहायता करता है यह प्राकृतिक आपदाओं, देवीय आपदाओं, युद्धों और अन्य संकटों के दौरान पीड़ितो की यथासंभव मदद प्रदान करता है। डॉ. नरेश चौधरी ने कहा की रेडक्रॉस स्वयं सेवकों द्वारा जनमानस में जागरूकता अभियान चलाकर संकल्प दिलाया जायेगा की मानवता के लिए समर्पित होने और जरूरतमंदों एवं पीड़ितों की यथासंभव मदद करने में हम सब एकजुट होकर सर्वोच्च प्राथमिकता पर अग्रणीय रहेंगे तभी हम मानवता की जीवित रखना विषय को सही मायने में चरितार्थ कर पाएंगे। संगोष्ठी में उत्तराखंड रेडक्रॉस के अध्यक्ष महामहिम राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) का संदेश भी सभी प्रतिभागियों को सुनाया गया। महामहिम राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने अपने संदेश में कहा कि वर्ष 2024 विश्व रेडक्रॉस दिवस की थीम मानवता को जीवित रखने का उद्देश्य मानवीय गरिमा को बनाए रखते हुए दीन-दुखियों की पीड़ा को कम करना तथा जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करना है, उत्तराखंड भूकंप एवं प्राकृतिक आपदाओं के लिए संवेदनशील है जिसकी विषम भौगोलिक परिस्थितिया हैं। आपदाओं एवं विभिन्न घटनाओं में पीड़ित एवं जरूरतमंद लोगों के लिए रेडक्रॉस आशा, करुणा और दया भावना रखने वाली संस्था का प्रतीक है जो लोगों की पीड़ा को कम करने और कमजोर लोगों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहा है, जो की सराहनीय प्रयास है। राज्यपाल ने कहा कि विभिन्नसेवा कार्यों में लगे स्वयं सेवकों की इच्छा शक्ति यह प्रमाणित करती है कि उनके भीतर मानवता जीवित है जो कि इस वर्ष की थीम को आत्मसार करती है। संगोष्ठी में मुख्य रूप से डॉ. मनोज, डॉ. प्रज्ञा, डॉ. गरिमा, डॉ. हेमलता, डॉ. चारुल, डॉ. आकांक्षा, डॉ. दीपिका, डॉ. छवि, डॉ. संदीप पाल, डॉ. रोहण, डॉ. आकांक्षा पंवार, पूनम आदि ने सक्रिय सहभागिता की।