कनखल में गंगा के पावन तट पर रामभद्राचार्य जी की नौ दिवसीय राम कथा शुरू

हरिद्वार। पद्मविभूषण जाने माने श्री राम कथा वाचक स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज की नौ दिवसीय संगीतमय राम कथा आज कनखल राजघाट में गंगा के पावन तट पर शुरू हुई। श्री राम कथा समारोह का संचालन आचार्य रामचंद्र दास
महाराज ने किया
स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने कथा का शुभारंभ करते हुए कहा कि शिव के बिना राम कथा अधूरी है। जब पार्वती ने भगवान शिव के समक्ष भगवान श्री राम के चरित्र के संबंध में 16 प्रश्नावली प्रस्तुत की तो भगवान शिव के सामने मानो पूरा रामचरित मानस प्रकट हो गया और भगवान शिव ने भगवान श्री राम के चरित्र का बखान करते हुए मंगल भवन अमंगल हारी,यानी भगवान राम का ऐसा चरित्र है कि उनका नाम लेने से ही सारे अमंगल दूर हो जाते हैं और मंगल ही मंगल होता है।
उन्होंने भगवान श्री राम और भगवान शिव की भक्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों एक दूसरे का पूजन अभिषेक करते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम सबके आराध्या हैं।
इस अवसर पर स्वामी रामभद्राचार्य जी का कथा स्थल पर पहुंचने पर कथा के आयोजक मुख्य यजमान प्रशांत शर्मा और अचिन अग्रवाल ने उनका अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। स्वागत समिति के वरिष्ठ सदस्य नितिन माना, सुनील अग्रवाल गुड्डू, अखिलेश बिट्टू शिवपुरी, नमित गोयल, गगन गुप्ता,गौरव गुप्ताआदि ने उनका फूल मालाओं से भव्य स्वागत किया। गणेश पूजन के साथ कथा का प्रारंभ हुआ।
श्री उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा राजघाट कनखल की ओर से महंत दामोदर शरण दास,
महंत गोविंद दास, महंत राघवेंद्र दास और स्वामी डॉक्टर केशवानंद महाराज ने स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज का पुष्प माला पहनाकर स्वागत किया।
सुप्रसिद्ध बैरागी संत स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने शिव की ससुराल कनखल में राम कथा की सरिता बहाई। कार्यक्रम के मुख्य यजमान प्रशांत शर्मा और अचिन अग्रवाल ने बताया कि श्री राम कथा 15 जून तक चलेगी।
कार्यक्रम को सफल बनाने में मुकेश गोयल, अभिनंदन गुप्ता, पार्थ अग्रवाल, विपिन मित्तल, निश्चल गुप्ता, अमित गुप्ता आदि ने सहयोग किया।
स्वामी रामभद्राचार्य जी की कथा से पहले हरिद्वार के कनखल उपनगर में कलश यात्रा का भ्रमण किया गया। कलश यात्रा शंकराचार्य चौक मित्तल धाम से शुरू हुई और कनखल के मुख्य बाजारों बंगाली मोड, महात्मा गांधी मार्ग, पहाड़ी बाजार, चौक बाजार, दक्षेश्वर महादेव मंदिर मार्ग,
से होती हुई कथा स्थल राजघाट में समाप्त हुई। कलश यात्रा का जगह लोगों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।

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