प्राकृतिक चिकित्‍सा: स्‍वस्‍थ रहने का विज्ञान_वैद्य दीपक कुमार
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🍃 Arogya🍃

हरिद्वार कनखल के प्रसिद्ध वैद्य दीपक कुमार का कहना है कि स्‍वास्‍थ्‍य को जीवन की एक बहुत महत्‍वपूर्ण निधी माना जाता है। स्‍वास्‍थ्‍य एंव रोग के विषय में प्राकृतिक चिकित्‍सा के अपने कुछ मौलिक सिद्धांत हैं, जिसके उल्‍लंघन पर तमाम रोग होते हैं। हमारे आस पास यानी की हमारी प्राकृति में ही इतनी अनमोल चीज़े छुपी हुई हैं कि अगर हम उनको अपने सेहत को सुधारने के लिए प्रयोग करेगें तो हम हमेशा ही मुस्‍कुराता हुआ जीवन जीएगें। चलिए जानते हैं कि प्रकृति में ऐसी कौन सी चीजे हैं जिनसे हमें लाभ मिल सकता है।

संतुलित खान-पान:
स्‍वस्‍थ रहने के इन तरीको को में से सबसे पहला स्‍थान संतुलित खान पान का है। ताजे फल और हरी पत्‍तेदार सब्जियां व अंकुरित अन्‍न इस दृष्ति से सर्वाधिक उपयुक्‍त है। ये आहार स्‍वास्‍थ्‍य को उन्‍नत करने के साथ साथ रोगों से दूर रखते हैं।

मिट्टी से उपचार:
शरीर पर तरह तरह की मिट्टियों का लेप लगाने से लाभ होता है। हमारे शरीर को शीतलता देने के लिए मिट्टी का प्रयोग किया जाता है। यह शरीर के दूषित पदार्थ को घोल कर एंव अवशोषित कर पूरे शरीर से बाहर निकाल देती है।

पानी से उपचार:
स्‍वस्‍छ, ताजे एवं शीतल जल से अच्‍छी तरह से स्‍नान करना जल चिकित्‍सा का एक बढियां रुप है। इससे शरीर के सभी रंद्र खुल जाते हैं, यही नहीं शरीर में हल्‍कापन और स्‍फूर्ती भी आती है।

उपवास भी है फायदेमंद:
उपवास को प्राचीन समय से स्‍वस्‍थ्‍य रहने का उत्‍तम साधन माना जाता है। उपवास पाचन प्रणाली को विश्राम देने की प्रक्रिया में खर्च होने वाली ऊर्जा, शरीर से बीमारियों को बाहर निकालने में लग जाती है, यही उपवास का उद्देश्‍य भी है। अगर आपको स्‍वस्‍थ्‍य रहना है तो हफ्ते में एक दिन जरुर उपवास करें।

मालिश भी है जरुरी:
मालिश भी स्‍वस्‍थ रहने के लिए आवश्‍यक है, इसका प्रयोग अंग प्रत्‍यंगों को पुष्‍ट करने हुए शरीर के रक्‍त संचार को उन्‍नत करने में होता है। मालिश से शरीर निरोगे रहता है और स्‍फूर्ति बनी रहती है।

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