मोहन भागवत पहुंचे हरिद्वार पतंजलि संन्यास दीक्षा महोत्सव में होंगे शामिल…

हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।

हरिद्वार। संन्यास दीक्षा महोत्सव में आज आठवें दिन स्वामी रामदेव महाराज ने संन्यास का संकल्प लेने वाले भावी संन्यासियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम सनातन धर्म के पुराधाओं की शृंखला तैयार कर महर्षि दयानन्द के स्वप्न को साकार करेंगे।
उन्होंने कहा कि पतंजलि के माध्यम से स्वास्थ्य व शिक्षा का बहुत बड़ा आंदोलन चलाया जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय शिक्षा बोर्ड, पतंजलि गुरुकुलम्, आचार्यकुलम्, पतंजलि विश्वविद्यालय, पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के माध्यम से शिक्षा क्रान्ति का शंखनाद हो गया है। इस कार्य में पतंजलि के संन्यासियों की भूमिका अहम रहेगी।

स्वामी रामदेव ने कहा कि स्वदेशी शिक्षा तंत्र का महर्षि दयानन्द, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी तथा सभी क्रांतिकारियों का सपना आजादी के 75 वर्ष बाद पतंजलि पूरा कर रहा है। देश स्वतंत्र हो गया किन्तु शिक्षा और चिकित्सा तंत्र अपना है ही नहीं! गुलामी की रस्मों तथा गुलामी की सब निशानियों को मिटाना है। यह कार्य संन्यासी ही कर सकते हैं। शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन कर गुलामी की निशानियों को मिटाकर आदर्श महापुरुषों व सनातन को पुनः गौरव प्रदान करने हेतु पतंजलि संकल्पित है।

कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि संन्यास मार्ग मोक्ष प्राप्ति का सरलतम साधन है। एक सच्चा संन्यासी अपनी सभी एषणाओं से मुक्त होकर विरक्त भाव से समाज व राष्ट्र के लिए समर्पित हो जाता है। स्वामी रामदेव महाराज से दीक्षित होकर सैकड़ों संन्यासी जब देश के विभिन्न क्षेत्रें में नेतृत्व करेंगे तो महर्षि दयानन्द का सपना साकार होगा।

बुधवार देर शाम सर संघ चालक मोहन भागवत ऋषिग्राम पहुँचे तथा चतुर्वेद पारायण यज्ञ में आहुति दी। उन्होंने भावी संन्यासियों को सम्बोधित भी किया। कल रामनवमी के अवसर पर वीआईपी घाट, हरिद्वार में स्वामी रामदेव महाराज से संन्यास की दीक्षा लेने वाले शताधिक नवसंन्यासियों को आशीर्वाद प्रदान करेंगे।
इसी क्रम में कल गुरुवार सायं 4:00 बजे केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह पतंजलि विश्वविद्यालय के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन करेंगे।

कार्यक्रम में महिला मुख्य केन्द्रीय प्रभारी साध्वी देवप्रिया, आचार्यकुलम् की निदेशिका बहन ऋतम्भरा शास्त्री, स्वामी विदेहदेव, स्वामी मित्रदेव, स्वामी ईशदेव, स्वामी सोमदेव, साध्वी देवश्रुति, साध्वी देववेरण्या, साध्वी देववाणी, साध्वी देवार्चना आदि उपस्थित रहे।

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