कैदियों की मनोदशा बदलने के लिए जेल में किए जा रहे हैं धार्मिक आयोजन -मनोज आर्य।

हरिद्वार। जिला जेल में आयोजित श्री शिव महापुराण कथा का श्रद्धालुओं को श्रवण कराते हुए कथाव्यास सूर्यकांत बलूनी ने कहा कि संसार मे शरीर को दो साधन चलाते हैं मन व बुद्धि। भाव प्रधानता से मन व बुद्धि प्रधानता से कर्म बनता है। मन बुद्धि को साथ लेकर जिस विषय में लगता है। वैसा ही होकर वैसा ही व्यक्तित्व बना लेता है। मन रूपी नारद को विश्वमोहिनी माया भी मिलती है तो भक्ति रुपी माँ भी। इसीलिये श्री शिव महापुराण में पहले मन रूपी नारद की कथा आती है। जब तक ये मन काशी रूपी ब्रह्मानंद का रसास्वादन नहीं कर लेता। इसकी जीव प्रधान यात्रा चलती रहती है। आनंद मिलते ही यह ब्रह्मा रुपी वेद से शिवतत्त्व का ज्ञानी हो जाता है। जेल अधीक्षक मनोज आर्य ने कहा कि जेल में बंद कैदियों की मनोदशा को धार्मिक क्रियाकलापों से जोड़ने के उद्देश्य से कथा का आयोजन किया जा रहा है। समाज अपराध मुक्त होना चाहिए। समाज उत्थान में सभी को अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। श्री अखंड परशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि जेल अधीक्षक मनोज आर्य जेल में बंद कैदियों को धार्मिक प्रवृत्ति का बनाने के उद्देश्य से धार्मिक आयोजन लगातार रोशनाबाद जेल में कर रहे हैं। अन्य लोगों में भी सकारात्मक संदेश ऐसे कार्यक्रमों का पहुंचता है। समाज अपराध मुक्त हो। सभी भगवान शिव से प्रार्थना करते हैं। इस अवसर जेल अधीक्षक मनोज आर्य, हिमांशु, पंडित अधीर कौशिक, जलज कौशिक, विष्णु गॉड, अस्मित शर्मा, शोभित अग्रवाल, कुलदीप शर्मा व श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के विद्यार्थियों ने व्यास पीठ का पूजन किया।

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