जिहादी उन्माद व आक्रामकता पर लगे लगाम -रूपेन्द्र प्रकाश।

हरिद्वार। हमारे ध्यान में आया है कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य मुस्लिम संगठनों ने वक़्फ़ कानून में संशोधनों के विरुद्ध एक व्यापक आंदोलन की घोषणा की है। इसमें एक दिन देश के मुसलमानों से अपनी दुकानें और संस्थानों को बंद रखने के लिए भी कहा गया है। सोशल मीडिया पर इसको भारत बंद कहा जा रहा हैं। इसी तरह एक अन्य दिन मुस्लिम समाज दिल्ली और प्रांतों की राजधानियों में प्रदर्शन करके गिरफ़्तारी देगा। मुस्लिम समाज दिल्ली में राष्ट्रपति भवन और राज्यों में राज भवनों की तरफ मार्च निकालेगा। इसी प्रकार सभी राज्यों में मुख्यमंत्रियों को ज्ञापन देने की बात कही गयी है।
प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश महाराज ने कहा कि वक़्फ़ संशोधन कानून के विषय में सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश का तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द ने स्वागत किया था। इसके बावजूद, सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले की प्रतीक्षा किये बिना आंदोलनों की घोषणा की गयी है। यह विचित्र है कि एक तरफ तो मुस्लिम संगठन न्यायालय के समक्ष इस कानून को चुनौती दे रहे है और वहीं सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले की प्रतीक्षा किये बिना देश-व्यापी आंदोलन छेड़ रहे है।
उन्होंने कहा कि यह चिंता की बात है कि अभी बारावफ़ात (मिलाद-उन-नबी) के कार्यक्रमों के दौरान अनेक स्थानों पर हिंसा हुई है। उसके बाद भी देश में अनेक स्थानों पर आयोजित कार्यक्रमों और जुलूसों में हिंसा के समाचार सामने आ रहे है।
संत समाज को को यह आशंका है कि वक़्फ़ संशोधन कानून के खिलाफ आयोजित आंदोलनों में बड़ी मात्रा में हिंसा और तोड़फोड़ हो सकती है। यह देश और सामाजिक सौहार्द के लिए बड़ा खतरा होगा।
इस खतरे को टालने की जिम्मेवारी, सबसे अधिक तो इस आंदोलन का आयोजन करने वाले लोगो की होगी। यह उनकी जिम्मेवारी है कि कार्यक्रम शांतिपूर्ण हों और इनमे सरकारी और अन्य सम्पतियों पर तोड़फोड़, दंगा और मारपीट न हो।
श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण के कोठारी राघवेंद्र दास ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य की सरकारों को भी सब प्रकार की स्थिति से निपटने की पूर्व तैयारी करना आवश्यक है। इन कार्यक्रमों के आयोजन, फैलाई जा रही उत्तेजना, कानून व्यवस्था और सामाजिक संबंधों को चुनौती देने वाले सोशल मीडिया अभियानों पर नजर रख कर कानून और व्यवस्था बनाये रखने और सब प्रकार की परिस्थिति से निपटने के लिए हर संभव प्रयत्न किया जाना आवश्यक है।
हम समाज का भी आह्वान करते है कि वह घृणा और उन्माद के इस अभियान को देखते हुए आत्मरक्षा के लिए सतर्क रहे और इसके लिए सभी आवश्यक कदम उठायें।

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