समलैंगिक विवाह न केवल धर्म व नीति विरुद्ध, बल्कि प्रकृति विरुद्ध भी है -ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी।
हरिद्वार। वर्तमान में उच्चतम न्यायालय में समलैंगिक विवाह पर चल रही सुनवाई पर पूरा देश अपनी दृष्टि केन्द्रित कर बैठा है। इस विषय पर जयराम आश्रम के पीठाधीश्वर ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि भारत संस्कृत, संस्कृति और ऋषियों का देश रहा है। कुछ चन्द लोगों की पाश्चात्य विचारधारा के सम्मोहन से संस्कृति के साथ छेड़-छाड़ जघन्य अपराध है। भारतीय हिन्दू सनातन संस्कृति में संस्कारों की महती महिमा है। संस्कार भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है। हमारा जीवन संस्कारों से ओतप्रोत है तथा सम्पूर्ण जीवन इस पर आधारित है। प्रायः सभी धर्मग्रन्थों में संस्कारों की संख्या भिन्न है। परन्तु कुछ प्रमुख संस्कार प्रायः सभी धर्मग्रन्थों में विद्यमान हैं, उन समस्त संस्कारों की श्रृंखला में विवाह संस्कार का भी एक विशिष्ट स्थान है, विवाह संस्कार विषयक वर्णन प्रायः सभी धर्म ग्रन्थों में विद्यमान है।