दो दिवसीय नारी संसद का समापन, जानिए…
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन आश्रम में दो दिवसीय नारी संसद मे देश भर से शिक्षाविद, समाजसेवी अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले नारी शक्ति, द्वारा नारी घर और बाहर विषय पर परिचर्चा हुई। दो राज्यों के राज्यपाल एवं चिंतक विचारक गोविंदाचार्य, पर्यावरणविद वंदना शिवा सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
देश भर से 21 राज्यों से आए 180 महिलाओं ने प्रतिभाग किया जिनमें प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों की कुलपति एवं विधि विशेषज्ञ तथा कई समाजिक, औद्योगिक, शैक्षिक क्षेत्रों से जुड़ी हुई महिलाएं शामिल थी।
नारी संसद की कल्पना जाने-माने चिंतक और विचारक के.एन. गोविंदाचार्य ने की और रवि शंकर तिवारी ने उसको मूर्त रूप प्रदान किया।
नारी संसद के प्रथम दिवस मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने बेटियों हेतु संचालित विभिन्न योजनाओं के विषय में जानकारी प्रदान की। दूसरे दिन केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने वेदों का उदाहरण देते हुए बताया कि नारी की आंतरिक शक्ति और उसको समाज में सुदृढ़ता करने के लिए सरकार द्वारा जो कदम उठाए गए हैं उन पर चर्चा की। इतिहास से तथ्य प्रस्तुत कर उन्होंने कहा कि पूर्व में सुनियोजित ढंग से महिलाओं को पिछड़ने के लिए पुरुष समाज ने मजबूर किया। किंतु महिला सदैव अपने आंतरिक गुणों के कारण उभर कर आई है और समाज को दिशा देती आई है।
हरिद्वार से समाजसेवी एवं साहित्यकार डॉ. राधिका नागरथ ने स्वामी विवेकानंद की दृष्टि में भारतीय नारी विषय पर अपना उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद हमेशा कहते थे कि पश्चिम के मापदंड पर भारतीय नारी को नहीं मापा जाना चाहिए। पश्चिम में नारी का आदर्श पहले पत्नी है, फिर मां, जबकि भारत में मातृत्व को सदा प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में मैत्री और गार्गी जिस तरह शास्त्रार्थ कर पुरुषों को हराने में सक्षम थी, हमारे वैदिक काल की गौरवान्वित नारी की आज भी पुनरावृति हो सकती है।
समाज में नारी के समक्ष चुनौतियां विषय पर रूपम जोहरी ने अपने विचार रखें। अपने ऑटिस्टिक बेटे के साथ वह किस तरह मां के साथ-साथ थैरेपिस्ट का रोल निभा रही हैं इस पर उन्होंने विस्तार से बताया। कवि एवं साहित्यकार प्रफुल्ल ध्यानी, मुस्कान फाउंडेशन से नेहा मलिक, निधि शर्मा को उनके समाज के लिए किए गए कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।
परमार्थ आश्रम के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि और साध्वी भगवती सरस्वती ने नारी संसद के सफल आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई दी। स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि हर नारी भारतीय संसद तक नहीं पहुंच सकती इसीलिए ऐसी परिकल्पना की गई कि संसद जन जन के बीच में जाकर उनके विचार लेकर आए ताकि वे विचार फिर लोकसभा एवं राज्यसभा में भेजे जा सके।