फुटपाथ पर रहने वाली भूरी का दीवाना हुआ बड़े अधिकारी का डॉग जिंजर, सोशल मीडिया पर छाई भूरी और जिंजर की प्रेम कहानी, देखें वीडियो

सुमित यशकल्याण

हरिद्वार।

एक छोटी सी प्रेम कहानी
फुटपाथ की रानी भूरी का दीवाना हुआ एक बड़े अधिकारी का डॉग जिंजर हरिद्वार। ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं हम क्या करें। मुंबई फिल्मों का यह सुपरहिट गीत इन दिनों हरिद्वार में एक छोटी सी प्रेम कहानी को चरितार्थ कर रहा है । मामला मायापुर क्षेत्र में रहने वाले कुंभ मेला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी के पालतू कुत्ते जिंजर और पास में ही फुटपाथ पर अठखेलियां करने वाली भूरी नाम की कुत्तिया के बीच चल रही प्रेम कहानी का है। दोनों की प्रेम कहानी आसपास रहने वालों के साथ ही सुबह शाम गंग नहर के किनारे टहलने जाने वालों और सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बनी हुई है ।
कहानी कुछ इस तरह शुरू हुई । एक बड़े अधिकारी का कुत्ता सुबह गंग नहर की पटरी पर टहलने जाता है कुछ दिन पहले उसकी मुलाकात एक लेडी डॉग से होती है। देखते ही देखते दोनों में प्रेम हो जाता है। हर रोज मिलने लगते हैं,अठखेलियां करते हैं मुलाकात केवल सुबह शाम घूमने तक ही सिमट कर रह जाती है। लेकिन यह मोहब्बत की आग है बुझे भी तो कैसे। बाकी समय कैसे मिला जाए, क्योंकि घूमने के बाद तो बड़े अधिकारी का कुत्ता जिंजर सरकारी कोठी की ऊंची ऊंची दीवारों और बड़े गेट के पीछे कैद होकर रह जाता है। इधर उसके प्रेम में दीवानी भूरी उससे मिलने के बहाने तलाशती रहती है। जिंजर को भी ना नींद है, ना चैन है, भूख भी कम हो गई है। ऐसे में भूरी ने अपने प्रेमी से मिलने के लिए अलग ही रास्ता निकाला।वह दिल ढलते ही हल्का अंधेरा होने पर जिंजर से मिलने साहब की बड़ी कोठी के गेट पर आ जाती है और अपने प्रेम का इजहार करने के लिए अपनी पूंछ को गेट के अंदर खिसका देती है। इधर प्रेम की आग में जल रहा जिंजर उसके आने का इंतजार करता रहता है। उसके आते ही उसकी पूछ को प्यार से दुलारता पुचकारता है। दोनों में काफी देर तक इसी माध्यम से ही प्यार के इजहार का दौर चलता रहता है। बीच-बीच में कभी कोई अगर आवास में अंदर आने अथवा बाहर जाने के लिए दरवाजा खोलता है या बाहर से कोई वाहन गुजरता है तो दोनों की प्रेम लीला में खलल पड़ जाता है लेकिन स्टेप बाय स्टेप यह दौर देर रात तक चलता रहता है। दोनों की यह प्रेम कहानी दिन में गंगनहर के किनारे टहलने जाने वालों, आसपास रहने वालों के साथ ही अब धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बनने लगी है।

खास बात यह है कि अधिकारी महोदय का देहरादून स्थानांतरण हो चुका है परिवार वालों को चिंता यह सता रही है कि अधिकारी तो दिन में देहरादून चले जाते हैं ऐसे में किसी दिन मौके का फायदा उठाकर जिंजर नौ दो ग्यारह ना हो जाए।
…………।।
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने दिया है नाम जिंजर
कुंभ मेले के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उनका पालतू कुत्ता उन्हें बहुत प्रिय है। वह उनके घर आने वाले हर मेहमान का अपने ही अंदाज में स्वागत भी करता है। उन्होंने बताया कि उनके इस कुत्ते का जिंजर नाम किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने रखा है। एक दिन अधिकारी परिवार सहित लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से आशीर्वाद लेने गए थे । तब यह कुत्ता भी साथ था। स्नेहवश आचार्य महामंडलेश्वर ने उसका नाम जिंजर रख दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!