खाकी का रौब दिखाकर 09 साल पति, सास और ससुर को फर्जी मुकदमें में जेल भिजवाकर प्रताड़ित करने वाली पुलिस कर्मी के आने वाले हैं बुरे दिन, जानिए मामला
हरिद्वार ब्यूरो…
हरिद्वार। उधम सिंह नगर की रहने वाली महिला कांस्टेबल उषा सहानी जो वर्तमान में ज्वालापुर थाने में तैनात है। जिसकी शादी मनोज पुत्र मुंशीलाल निवासी विकास कॉलोनी हरिद्वार के साथ सन 2008 में हुई थी, जब उषा साहनी की शादी हुई तो यह महिला कांस्टेबल थी और मनोज उस समय एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था। मनोज अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र है मनोज और उषा से एक बेटी यशस्वी भी है। दोनों की गृहस्थी बहुत अच्छी चल रही थी, पर उषा की यह जिद थी कि मनोज अपने माता-पिता से अलग मकान में रहे, तभी मनोज की नौकरी बीएचईएल में लग गई और उषा का पोस्टिंग बहादराबाद की पुलिस चौकी शांतरशाह में हो गई।
विपक्षी पक्ष के अधिवक्ता अरुण भदौरिया ने बताया कि घटना 20 जून 2012 की है। दिन में 9:30 बजे उषा ने मनोज उसके पिताजी मुंशीलाल व माता भगवानी देवी के विरूद दहेज में कार व लाखों रुपए की मांग और मारपीट की घटना का मुकदमा दर्ज कराया, उस दौरान एक महिला कांस्टेबल दर्शन कौर को भी घटना के समय उपस्थित होना बताया साथ ही अपने सगे भाई व अपने मामा जो शिवालिक नगर में रहते हैं उनको भी रहना बताया।
जब मनोज के पिताजी मुंशीलाल ने सूचना अधिनियम के माध्यम से यह जानकारी मांगी की 20 जून में प्रातः से शाम तक उषा साहनी शांतरशाह पुलिस चौकी पर तैनात थी या नहीं, तो थाने द्वारा अपनी जीडी की नकल व सूचना अधिनियम 2005 के तहत यह जानकारी दी कि उषा साहनी 20 जून 12 मे प्रातः 9:00 बजे से शाम तक संयंत्र शांतरशाह पुलिस चौकी में तैनात थी और उस दौरान उषा साहनी के साथ कोई और मौजूद भी नहीं था। ताज्जुब की बात है कि पुलिस की जी. डी. का कहना है उषा साहनी 20 जून 2012 की सुबह से शाम तक ड्यूटी पर थी और सूचना अधिनियम की जानकारी के अनुसार उस दिन पुलिस चौकी में उषा साहनी के अलावा कोई और मौजूद भी नहीं था। पुलिस चौकी में वायरलेस सेट अन्य सरकारी दस्तावेज की मौजूदगी होती है जबकि उषा साहनी ने अपने ससुराल वालों के विरुद्ध एक दहेज का झूठा मुकदमा 20 जून 12 में घटना 9:30 बजे और 11:30 बजे दोपहर में अपना सरकारी हॉस्पिटल हरिद्वार में मेडिकल बनवाना बताया और मेडिकल बनवाकर थाना कोतवाली हरिद्वार में तहरीर दी परंतु बाद में वह मुकदमा न्यायालय के आदेश पर दर्ज हुआ।
इस मुकदमे में मनोज मुंशीलाल व भगवानी की ओर से हरिद्वार के एडवोकेट अरुण भदौरिया ने पैरवी की और न्यायालय में उषा साहनी ने अपने बयान में 20 जून 12 को विभाग से छुट्टी नहीं लेना बताया, और उस दिन कि सैलरी भी सरकारी खाते से ली, गवाह दर्शन कौर ने कोर्ट में बयान में अपनी मौजूदगी थाने में होना बोला, उसके सामने कोई घटना नहीं होना बताया। लगभग 09 साल तक उषा साहनी के ससुराल वाले पति सास व ससुर दहेज के झूठे मुकदमे में प्रताड़ित होते रहे ।
कोर्ट ने सुसराल पक्ष को बरी किया। बरी होने के बाद मनोज व माता पिता ने अपने अधिवक्ता अरुण भदोरिया के माध्यम से अशोक कुमार पुलिस महानिदेशक से इस संबंध में झूठा मुकदमा दर्ज कराने और सरकारी पैसा हड़प करने और पुलिस चौकी में कीमती सामान होने के बावजूद गायब होना इन सब की बाबत मुकदमा दर्ज कराने की प्रार्थना पत्र दिया। जिस पर पुलिस महानिदेशक द्वारा एसएसपी हरिद्वार को तत्काल कार्रवाई किए जाने हेतु आदेश पारित किया है।