वैद्य दीपक कुमार बता रहे है पथरी का घरेलू प्राकृतिक उपचार,जानिए
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हरिद्वार।अगर आप पथरी से ग्रस्त है तो कनखल के प्रसिद्ध वैद्य दीपक कुमार आपको बता रहे हैं पथरी का घरेलू उपाय, जिसे अपनाकर आप पथरी की बीमारी से निजात पा सकते हैं दीपक कुमार के अनुसार
जवाखार ( Javaakhar ) :
जवाखार एक आयुर्वेदिक बूटी है जिसे मुख्यतः पेट से सम्बंधित और वायु सम्बंधित रोगों के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है. क्योकि पथरी भी पेट का ही रोग है तो ये इससे मुक्ति दिलाने में भी लाभकारी होता है. इसका इस्तेमाल करने के लिए आप 2-2 ग्राम की मात्रा में जवाखार, पत्थरचटा और गोखरू लें और पानी के साथ इनका सेवन करें. लगातार 2 महीने तक इस उपाय को करने से पथरी घुलकर बाहर निकल जाती है.
बथुआ ( Bathua ) :
बथुये को आप अनेक तरह से पथरी निकालने के लिए इस्तेमाल कर सकते हो. खासतौर से किडनी की पथरी. इसके लिए आपको सबसे पहले आधे किलो बथुए को पानी में उबालना है और इसके उबलने के बाद इसे छलनी से छान लें. बथुए का जो पानी आपने अलग किया है उसमे आप कुछ मात्रा में पीसी हुई काली मिर्च, स्वादानुसार सेंधा नमक और जीरा डाल कर अच्छी तरह मिला लें. इस तरह इस काढ़े को आप दिन में 3 से 4 बार अवश्य पियें. आपको जल्द ही पथरी से आराम मिल जायेगा.
अनार ( Pomegranate ) :
अनार के बीज, इसका रस और इसमें पाया जाने वाल कसैले गुण किडनी से पथरी निकालने में जल्द ही सहायक सिद्ध होता है. इसीलिए अनार को पथरी का सबसे अदभुत और सरल घरेलू उपाय माना जाता है. इसका रस प्राकृतिक रूप से पथरी को काटता है और उसे गलाकर बाहर निकाल देता है.
कुल्थी ( Kulthi ) :
कुल्थी में अधिक मात्रा में शर्करानाशक तत्व पायें जाते है. ये शरीर में त्रिदोषो को रोकती है और पथरी के भेदन में सहायक होती है. ये पथरी को मूत्रल में भी बदल सकती है ताकि ये आसानी से बाहर निकल सके. पथरी से मुक्ति पाने के लिए 250 ग्राम कुल्थी को अच्छी तरह साफ़ कर लें और इन्हें रात के समय 3 लीटर पानी में डालकर भीगने के लिए रखें दें. सुबह आप इन्हें धीमी आंच पर 4 घंटों तक पकाते रहें. जब पानी 1 लीटर के पास रह जाएँ तो आंच को बंद कर दें. अब आप इसमें 50 ग्राम शुद्ध देशी घी डाल लें और कुल्थी को छोंक लें. इसके बाद आप इसमें स्वादानुसार थोडा सेंधा नमक, पीसी हुई काली मिर्च, जीरा और हल्दी डालें. इस तरह कुल्थी एक पथरीनाशक औषधि में परिवर्तित हो जाती है.
मुली ( Radish ) :
मुली का अनेक तरीको से पथरी से मुक्ति के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. सबसे पहले आप 40 मिलीलीटर मुली का रस लें और उसम 30 ग्राम की मात्रा में अजमोद डालें और इसके पी जाएँ. इस तरह आप 1 महीने तक करें. आपका मल साफ़ हो जाएगा और पथरी भी घुलकर बाहर निकल जायेगी.
रोगी को रात को सोते समय 1 ग्लास गुनगुना पानी पीकर सोना चाहियें और 1 ग्लास पानी को पीतल के ग्लास में रखना चाहियें. सुबह इस पानी में 2 ग्राम मुली का रस मिलाकर खाली पेट पीना चाहियें. इस उपाय से भी पथरी गल कर बाहर निकल जाती है.
रोगी 30 ग्राम मुली के बीज लें और उसें 1 ग्लास पानी में डालकर अच्छी तरह ग्राम कर लें. जब पानी आधा बच जाएँ तो इस पानी को पी जायें. इस उपाय को रोज दिन में 2 से 3 बार करें. इससे भी पत्थरी गलकर मूत्रमार्ग से बाहर निकल जाती है.
प्याज ( Onion ) :
प्याज में भी अनेक पथरी नाशक तत्व होते है. जिससे पथरी से निजात पाने में सहायता मिलती है. प्याज की सहायता से पथरी से मुक्ति पाने के लिए रोगी 70 ग्राम प्याज को पीसकर उसका रस इक्कठा कर लें. इस रस को रोगी प्रतिदिन सुबह शाम ग्रहण करें. ये रस पथरी को छोटे छोटे कणों में बाँट दता है और वो मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाती है.
रोगी को प्याज के 2 चम्मच रस में मिश्री मिलकर सेवन करने से भी पथरी में लाभ मिलता है.
अगर रोगी सुबह उठते ही 50 से 60 मिलीलीटर प्याज का रस पीता है तो उसे भी उसकी गुर्दे और मूत्राशय की पथरी गलकर बाहर निकल जाती है.
अजवायन ( Parsley ) :
ये किडनी और पेट में पत्थर के कणों को बनने से रोकती है और मूत्र की मात्रा को बढ़ाती है जिससे पथरी को मूत्र मार्ग से निकलने में सहायता मिलती है. इसीलिए अजवायन को एक सफल यूरिन ऐक्टयूऐटर कहा जाता है. अजवायन को रोगी एक मसाले या चाय के रूप में इस्तेमाल कर सकते है.
रोगी अजवायन को और जीरे को 5-5 ग्राम की मात्रा में लें और इसे सुखाकर इसको पीस लें, प्राप्त पाउडर को रोगी सुबह शाम ठन्डे पानी के साथ ग्रहण करें. कुछ दिन इसका सेवन करने से रोगी को जल्द ही पथरी में आराम मिलता है.
अगर गुर्दे या मूत्राशय में पथरी है तो रोगी को 6 से 7 ग्राम अजवायन का चूर्ण प्रतिदिन सुबह शाम खाना चाहियें. इससे पथरी छोटे छोटे टुकड़ों में बाँट जाती है और बाहर निकाल जाती है.
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Dr.(Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
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