शिक्षक ही तय करेगा देश का स्वरुप -आशीष गौतम।

हरिद्वार। भारतीय शिक्षण मण्डल दिल्ली प्रान्त के अभ्यास वर्ग का आयोजन महाराजा अग्रसेन आश्रम हरिद्वार, में किया जा रहा है। इसमें दिल्ली प्रान्त कार्यकारिणी, जिला कार्यकारिणी और विश्वविद्यालय इकाई के 75 दायित्ववान कार्यकर्ता सम्मिलित हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन एवं उसके द्वारा शिक्षा नीति में परिवर्तन कार्यक्रम का उद्देश्य है। दिल्ली में 100 से अधिक साप्ताहिक अध्ययन केंद्र चल रहे हैं इन अध्ययन केन्द्रों में एक हजार से अधिक शिक्षक, छात्र, अभिभावक और संस्था चालक शिक्षा में परिवर्तन लेन का प्रयास कर रहे हैं। इनमें से चयनित कार्यकर्ताओं की कुशलता और वैचारिक दृढ़ता बढ़ाने के लिए यह त्रि दिवसीय अभ्यास वर्ग चल रहा है। इस अभ्यास वर्ग में सभी कार्यकर्ता भारतीय संस्कृति, मूल्यों और शिक्षा के क्षेत्र में नवीनतम ज्ञान से परिचय, व्याख्यान, आनंदशालाएं, वैचारिक मंथन के साथ प्राण विद्या, योग साधना, नादानुसंधान, कौशल विकास समेत कई विधाओं का अभ्यास कर रहे हैं।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए दिव्य प्रेम मिशन के अध्यक्ष आशीष गौतम ने मुख्य अतिथि के रूप मे सम्बोधित करते हुए गंगा माँ और हरिद्वार के महात्म्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने उत्तराखंड के निर्माण में शिक्षकों की भूमिका को नमन करते हुए बताया कि शिक्षक किस प्रकार ऊर्जा को सकारात्मक दिशा प्रदान करके समाज और राष्ट्र निर्माण का काम कर सकता हैं।
उल्लेखनीय हैं कि भारतीय शिक्षण मंडल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा एक शिक्षा संबंधित संगठन है जो देश की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक अनुभूति से उपजी, राष्ट्र के समग्र विकास पर केंद्रित राष्ट्रीय शिक्षा नीति, शिक्षणविधि तथा पाठ्यक्रम को भारत की संस्कृति और एकात्म जीवनदृष्टि के अनुरूप विकसित कर राष्ट्रीय पुनरुत्थान के लिए काम करता है। अभ्यास वर्ग में कार्यकर्ताओं को अखिल भारतीय संगठन मंत्री शंकरानंद के साथ कई वरिष्ठ अधिकारियों का मार्गदर्शन प्राप्त होगा।
मुख्य वक्ता प्रो. रवि प्रकाश टेकचन्दानी ने कहा कि जब समाज पोषित शिक्षा होती हैं तो छात्र-छात्राओं में देश प्रेम नर सेवा, स्व का भाव और आत्मीयता अपने आप आ जाती है।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. अजय कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से ही समाज को सही दिशा मिल सकती है। उपाध्यक्ष प्रो. आर.के. गुप्ता ने अभ्यास वर्ग के महत्त्व पर प्रकाश डाला। सत्र के अंत में प्रो. विजिता सिंह अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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