इतिहास का पुनर्लेखन है समय की मांग -प्रोफेसर बत्रा।

हरिद्वार। शनिवार को एसएमजेएन महाविद्यालय में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जन्मतिथि पर उन्हें भावपूर्ण रूप से स्मरण किया गया। भगवान बिरसा मुंडा जयंती के उपलक्ष में महाविद्यालय में नवनिर्मित स्मार्ट कक्षा में एक बौद्धिक व्याख्यान माला का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि भारत के जनजातीय क्षेत्र का इतिहास समृद्ध परंपरा से ओतप्रोत है और आवश्यकता इस बात की है कि भगवान बिरसा मुंडा जैसे जननायकों को इतिहास के पुनर्लेखन के माध्यम से इतिहास में गौरवपूर्ण स्थान दिया जाए। उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा के जीवन चरित्र और स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि उनका नारा ‘अबुआ दिशुम अबुआ राज’ आज भी जनजातीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रेरणा स्रोत है उन्होंने सामाजिक और आर्थिक सुधारो के लिए भगवान बिरसा मुंडा की योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि वास्तव में वह एक महान समाज सुधारक भी थे उन्होंने युवाओं को नशा आदि कुरीतियों से दूर रहने के लिए भी प्रेरित किया था।
इस अवसर पर बोलते हुए अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉक्टर संजय कुमार माहेश्वरी ने विस्तार से भगवान बिरसा मुंडा के जीवन चरित्र और उसके ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि केवल 25 वर्ष में बलिदान की ऐसी मिसाल पूरे स्वतंत्रता आंदोलन में मिलना दुर्लभ है साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि हम भगवान बिरसा मुंडा के आदर्शों पर चलकर ही युवाओं को नैतिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा दे सकते हैं और उनमें देश प्रेम की भावना का प्रसार कर सकते हैं।
कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के तौर पर बोलते हुए राजनीति विज्ञान विभाग के विभाग अध्यक्ष विनय थपलियाल ने पूरे विश्व के जनजातीय आंदोलन की तुलना भारतीय उपमहाद्वीप में चलने वाले जनजाति आंदोलन से की और कहा कि भारतीय जनजाति आंदोलन में केवल औपनिवेशिक शक्तियों के विरुद्ध थे बल्कि जल जंगल और जमीन के संसाधनों को आदिवासी लोगों को मुहैया कराने के पक्षधर भी थे उन्होंने छोटा नागपुर टेनेसी एक्ट 1908 का जिक्र करते हुए कहा कि यह एक्ट भगवान बिरसा मुंडा की शहादत के बिना संभव नहीं था।
इस अवसर पर समाजशास्त्र विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर जैसी आर्य भी मौजूद थे उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा को याद करते हुए कहा कि उन्होंने समाज की मुख्य धारा से वंचित समूहों में सामाजिक चेतना का प्रसार किया और उनका योगदान अविस्मरणीय है।
इस अवसर पर डॉ. विनीत चौहान, दिव्यांश शर्मा, मीनाक्षी शर्मा , पल्लवी राणा, डॉ. आशा शर्मा, डॉ. लता शर्मा, डॉ. अनुरिसा, डॉ. पूर्णिमा सुंदरियाल, साक्षी, भव्या, आकांक्षा, डॉ. विजय शर्मा, डॉ. यादवेंद्र सिंह उपस्थित थे।

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