अमृतरूपी भागवत कथा से बड़ा कोई सत्य नहीं -स्वामी रविदेव शास्त्री।
हरिद्वार। कथाव्यास भागवताचार्य स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि भगवान के श्रीचरणों में ही सुख और कल्याण की प्राप्ति होती है। श्रीमद्भागवत कथा से बढ़कर कल्याणकारी और कोई साधन नहीं है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को कथा का श्रवण और आयोजन अवश्य करना चाहिए। श्री साधु गरीबदासी धर्मशाला सेवाश्रम ट्रस्ट में ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर डॉ.स्वामी श्यामसुंदरदास शास्त्री महाराज की पांचवी पुण्य अतिथी के अवसर पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन श्रद्धालुओं को कथा श्रवण कराते हुए कथाव्यास स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि अमृतरूपी भागवत कथा से बड़ा कोई सत्य नहीं है। सभी ग्रंथों का सार श्रीमद्भागवत कथा के प्रभाव से व्यक्ति जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि जब-जब पृथ्वी पर पाप व आतंक का प्रभाव बढ़ता है। तब-तब भगवान किसी न किसी रूप में अवतरित होकर भक्तों की रक्षा करते हैं। जब पृथ्वी पापियों का बोझ सहन नहीं कर पा रही थी, तब सभी देवता ब्रह्मा जी व शिव के साथ क्षीर सागर में भगवान की स्तुति करने लगे। तब भगवान श्री हरि ने प्रसन्न होकर देवताओं को बताया कि मैं वासुदेव व देवकी के घर कृष्ण रूप में जन्म लूंगा और वृंदावन में मां यशोदा व नंदबाबा के घर बाल लीलाएं करूंगा। स्वामी रविदेव शास्त्री ने बताया कि जब भगवान ने पृथ्वी पर श्रीकृष्णा अवतार धारण किया तब सभी देवता और स्वयं ब्रह्मा व शिव जी भी भगवान की लीलाओं के साक्षी बने थे। जब भगवान ने कृष्ण ने जन्म लिया था, तब पृथ्वी पर ना जाने कितने जन्मों से जीव भगवान की प्रतीक्षा कर रहे थे। कथा के मुख्य यजमान अहमदाबाद गुजरात निवासी श्रीमती मीरा देवी व कार्तिभाई दवे ने व्यासपीठ का पूजन कर कथाव्यास से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास, स्वामी निर्मलदास, स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि, स्वामी दिनेश दास, जदगीश चावला, मौजीराम, भीमचंद, संजय वर्मा, डॉ.पदम प्रसाद सुवेदी, लोकनाथ सुवेदी, शेखर शर्मा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।