विवेचक ने मुकदमे में लगाई एफआर को कोर्ट ने की रिजेक्ट, एसएसपी और थानाध्यक्ष को दिए आदेश, जानिए…
हरिद्वार में सन 2003 से 2011 तक जिलाधिकारी ,मुख्य विकास अधिकारी, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी ,जिला पर्यटन विकास अधिकारी ,प्रबंधक जिला अग्रणी बैंक, महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र, नाबार्ड का प्रतिनिधि ,परिवहन का प्रतिनिधि ,के विरुद्ध थाना सिडकुल में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन रोजगार योजना के अंतर्गत जनपद हरिद्वार में ऋण देते समय लापरवाही व नियमों की अनदेखी कर जो लोन गरीबों बेरोजगारों के लिए था, उक्त लोन धनाट्य परिवार के लोगों को दिए जाने ,यहां तक कि उक्त व्यक्ति इनकम टैक्स रिटर्न भरने वाले व्यक्तियों पर दिए जाने पर सरकारी खजाने पर लूट व धोखाधड़ी करके बंदर बाट कराए जाने के विरुद्ध हरिद्वार के अधिवक्ता अरुण भदोरिया द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी, धारा 156(3) सीआरपीसी के तहत वर्ष 2011 में सीजीएम हरिद्वार न्यायालय में दाखिल की गई थी ,जिस पर वर्ष 2019 में अपर सिविल जज एस डी रजनी शुक्ला द्वारा इन अधिकारियों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज किए जाने के आदेश 8 साल के पश्चात दर्ज किया किए गए थे, जिसमें शासन द्वारा इस मुकदमे की विवेचना के लिए तीन इंस्पेक्टर्स की एक एस आई टी का गठन किया गया था। लेकिन धीरे-धीरे हिला हवेली के तहत सब इंस्पेक्टर रघुवीर सिंह रावत द्वारा इस मुकदमे की विवेचना की गई तत्कालीन में जो जिलाधिकारी 2003 से 2011 तक हरिद्वार में रहे हैं वह शासन में आज महत्वपूर्ण पद प्रमुख सचिव के पद पर तैनात हैं और विवेचके रघुवीर सिंह रावत द्वारा इस मुकदमे में विवेचना करते हुए अंतिम रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत की।
जिस पर एडवोकेट अरूण भदोरिया द्वारा अंतिम रिपोर्ट पर आपत्ती लिखित में दाखिल की गई जिसे न्यायालय ने स्वीकार करते हुए और पुलिस द्वारा दाखिल अंतिम रिपोर्ट को निरस्त करते हुए थाना अध्यक्ष सिडकुल को व एसएसपी हरिद्वार को आदेश पारित किया है कि पत्रावली में थाना अध्यक्ष को आदेशित करें उक्त पत्रावली की पुन विवेचना किसी सक्षम अधिकारी के द्वारा की जाए, अरुण भदोरिया एडवोकेट द्वारा इस संबंध में विवेचना के समय मुख्यमंत्री उत्तराखंड को पत्र लिखकर यह मांग की गई थी पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई से की जाए, परंतु राज्य सरकार ने यह मांग गंभीरता से नहीं ली थी ।ताकि सरकार की ओर से जाने वाला पैसा जो गरीबों को रेडी चलने वाले रिक्शा चलाने वाले फलों की ठेली लगाने वाले बेरोजगार लोगों को जो लोन वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना के तहत तहत दिया जाना था तो उन बेरोजगार लोगों को और गरीब लोगों को ना मिलकर ऐसे अमीर परिवारों को उक्त ऋण दिया गया जो इनकम टैक्स रिटर्न भी फाइल करते हैं। इन सब बातों पर न्यायालय ने गंभीरता से पत्रावली का अवलोकन करते हुए पुलिस द्वारा दाखिल अंतिम रिपोर्ट को निरस्त करते हुए विवेचना के आदेश पुलिस के उच्च अधिकारि सहित थानाध्यक्ष को भी पारित किया