अखाड़ों में कैसे बनते हैं रमता पंच, कुम्भ मेले में रमता पंचों का महत्व , कितना होता है इनका कार्यकाल, जानने के लिए पढ़िए
गोपाल रावत
नागा सन्यासियों के अखाड़े में रमता पंच का महत्वपूर्ण स्थान-श्रीमहंत मोहन भारती
हरिद्वार। नागा सन्यासियों के अखाडे में रमता पंच जिन्हे पंचपरमेश्वर भी कहा जाता है का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान होता है। रमता पंचो की पूरी जमात पूरे देश में सनातन धर्म का प्रचार करते हुए भ्रमण करती रहती है।
जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत मोहन भारती ने बताया कुम्भ मेलो में जब पंच परमेश्वर छावनी प्रवेश कर लेते है तो कुम्भ मेले तथा अखाड़े की समस्त व्यवस्थाएं इनके हाथों में आ जाती है। कोठार तथा कारोबार पर इनका नियंत्रण हो जाता है। समस्त आय-व्यय व अन्य व्यवस्थाएं इनकी देख-रेख में सम्पन्न होती है। उन्होने बताया जूना अखाड़े के पंचपरमेश्वर की जमात में चार श्रीमहंत,चार अष्ट कौशल महंत,चार कोठारी,चार कोरोबारी,चार भण्डारी,चार कोतवाल,दो पुजारी तथा फुटकर साधु शामिल रहते है। रमता पंचो की जमात एक कुम्भ मेला सम्पन्न हो जाने पर दूसरे कुम्भ मेले के लिए कूच कर जाती है। और तीन वर्षो तक भ्रमण के पश्चात वहा पहुच जाती है और कुम्भ की व्यवस्थाएं संभाल लेती है। श्रीमहंत मोहन भारती ने बताया हरिद्वार कुम्भ के समापन के बाद रमता पंच अपने लाव लश्कर जिनमें टैक्टर ट्राॅली,ट्रक व अन्य वाहन शामिल रहते है के साथ 2024 के प्रयागराज कुम्भ के लिए कूचकर जाएंगे। उन्होने कहा 7 रमता पंच का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है। हरिद्वार कुम्भ में वर्तमान रमता पंच का कार्यकाल समाप्त हो जाएंगा और 12अप्रैल के दूसरे शाही स्नान के नए पंचों का चयन कर लिया जाएगा। 14अप्रैल का तीसर शाही स्नान नवनिर्वाचित रमता पचांे की सुनवाई में होगा।