मानदेय नहीं बढ़ाए जाने पर संस्कृत शिक्षकों ने दी आंदोलन की चेतावनी…
हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।
हरिद्वार। अशासकीय संस्कृत विद्यालयों में कार्यरत संस्कृत शिक्षकों ने मानदेय बढ़ाए जाने की मांग की है। संस्कृत शिक्षकों ने मानदेय नहीं बढ़ाए जाने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी है। हरिद्वार प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए संस्कृत विद्यालय महाविद्यालय प्रबंधकीय शिक्षक समिति के प्रदेश अध्यक्ष भगवती प्रसाद विजल्वाण ने बताया कि अशासकीय विद्यालयों, महाविद्यालयों में कार्यरत संस्कृत शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। समान योग्यता तथा शासनादेश जारी होने के बावजूद मामूली वेतन पर अशासकीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का मानेदय नहीं बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि विभिन्न विद्यालयों में कार्यरत् 126 संस्कृत शिक्षक 06 हजार से 08 हजार के मामूली वेतन पर अध्यापन कर रहे हैं। भगवती प्रसाद बिलज्वाण ने बताया कि संस्कृत शिक्षा निदेशक ने मानदेय से वंचित शिक्षकों का मानदेव बढ़ाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्ताव को अनुमोदित किए जाने के एक वर्ष बाद भी मानदेय बढ़ाने के लिए शासनादेश जारी नहीं किया गया है। जिससे शिक्षकों में रोष है। प्रदेश संयोजक प्रकाश तिवारी व सचिव रावेन्द्र कुमार ने कहा कि संस्कृत शिक्षकों का धैर्य अब जवाब दे रहा है। समिति ने शिक्षकों के हितों के लिए संघर्ष करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि यदि 10 दिन के अंदर मानदेय बढ़ाने का शासनादेश जारी नहीं किया गया तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा।
प्रेस वार्ता में समिति के अध्यक्ष भगवती प्रसाद बिजल्वाण, सचिव रावेन्द्र कुमार, प्रदेश संयोजक प्रकाशचन्द्र तिवारी, प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. कमलेश कुमार, कोषाध्यक्ष चक्रपाणि मैठाणी, संगठनमन्त्री डॉ. अतुल चमोला, प्रचारमन्त्री हंसराज भट्ट, सहसचिव रामेश्वर प्रसाद राणाकोटी, मेवाराम गैरोला, प्रकाश चन्द्र सती, नेत्र बल्लभ कोठारी, अनूप सिंह रावत, कैलाश देवली, डॉ. जीवन आर्य, डॉ. धीरज जोशी, हरीशचन्द्र पाण्डेय, नवीन भट्ट, एन.सुमेधा, रवि पन्त सहित दर्जनों संस्कृत शिक्षक शामिल रहे।