भारत की प्राचीन युद्ध कला है तीरंदाजी -पंडित अधीर कौशिक।
हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।
हरिद्वार। आरजेके फाउंडेशन द्वारा भल्ला कालेज स्पोर्टस स्टेडियम में आयोजित राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता के समापन पर अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज, श्री अखंड परशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक, समाजसेवी ज्ञानेश अग्रवाल, प्रमोद चांदरूकर, राजेंद्र तोमर, आरजेके फांउडेशन के डायरेक्टर रमेश प्रसाद, कुलदीप चौहान, जितेंद्र वोरा, रोहित शर्मा, नरेश चौहान, पंकज निगम, चंद्रकांत शर्मा, पंडित पवन कृष्ण शास्त्री, सतीश जोशी, राधे आदि ने सीनियर व सब जूनियर विंजेता खिलाड़ियों को गोल्ड, सिल्वर और कांस्य पदक प्रदान किए।
इस अवसर पर पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि तीरंदाजी भारत की प्राचीन युद्ध कला है। हरिद्वार में तीरंदाजी की राष्ट्रीय प्रतियोगिता का आयोजन गर्व की बात है। प्रतियोगिता के आयोजन से युवा वर्ग में तीरंदाजी के प्रति आकर्षण बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि युवाओं को पाश्चात्य संस्कृति का परित्याग कर स्वयं को शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत बनाना चाहिए और खेल गतिविधियों में भाग लेना चाहिए।
आरजेके फांउडेशन के डायरेक्टर रमेश प्रसाद व जितेंद्र वोरा, कुलदीप चौहान ने कहा कि उत्तराखण्ड में पहली बार आयोजित की गयी राष्ट्रीय स्तर की तीरंदाजी प्रतियोगिता में विभिन्न राज्यों के तीन सौ से अधिक खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता के आयोजन से उत्तराखण्ड के युवाओं में तीरंदाजी को खेल के रूप में अपनाने का रूझान बढ़ेगा और राज्य से अनेक प्रतिभाशाली तीरंदाज राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखण्ड का नाम रोशन करेंगे।
इन खिलाड़ियों को पुरूस्कृत किया गया-सुमेश, निकुंज पुनिया, इशान होंडा, उज्जवल धामा, कनिका, अनुष्का, अंकित, जयंती सिंह, हरमन, चेष्टा, निकिता, इंद्रजीत कौर, प्रियांशु यादव, कौशल दलाल, रचित, मनजीत राणा, वर्णिया, रूद्र रानी।