ऑनलाइन श्राद्ध, पिंडदान के विरोध में आई श्री गंगा सभा, शास्त्रों में नहीं है ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान का विधान -तन्मय वशिष्ठ,
हरिद्वार। कोरोना संक्रमण के चलते आजकल सभी गतिविधियां थमी हुई हैं।सभी राजनैतिक,सामाजिक एवं धार्मिक गतिविधियां बन्द हैं। श्राद्ध पक्ष में हरिद्वार में भी श्रद्धालुओं का आना कम हो रहा है। इसलिए कुछ ब्राह्मण व कुछ संस्थाएं ऑनलाइन श्राद्ध,पिंडदान,तर्पण आदि कराने का प्रयास कर रहे हैं।
इस विषय पर आज श्री गंगासभा (रजि.) हरिद्वार के पदाधिकारियों ने कहा की ऑनलाइन श्राद्ध, पिंडदान आदि शास्त्र सम्मत नही है और हम इसका विरोध करते हैं।
श्री गंगा सभा अध्यक्ष प्रदीप झा और महामन्त्री तन्मय वशिष्ठ ने कहा ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान का विधान शास्त्रों में नहीं है शास्त्रों में ब्राह्मण को यजमान के प्रतिनिधि के रूप में श्राद्ध आदि कार्य को कराने के लिए अधिकार तो दिया गया है किंतु उसके लिए यजमान स्वयं आकर या पुरोहित यजमान के घर जाकर संकल्प वरण आदि लेकर ही उस कार्य को संपन्न कर सकता है तभी यजमान को उस कार्य का संपूर्ण फल प्राप्त होता है ऑनलाइन पूजा केवल छलावा है। इससे तीर्थ का महत्व तो कम होता ही है साथ ही वहां के तीर्थ पुरोहित और परंपराओं का भी महत्व कम होता है, जो कि स्वीकार्य नहीं है।