परमहंस का मार्ग तपस्या का मार्ग, शास्वत शांति हेतु परमहंस की शरण आवश्यक -आचार्य रामानुज।


शास्वत शांति हेतु परमहंस की शरण आवश्यक है . परमहंस तपस्या के मार्ग पर चलकर ही इस पद को प्राप्त होता है. आचार्य रामानुज ने रामायण से इस चौपाई से तपस्या का मंत्र सबको दिया
तापस सम दम दया निधाना । परमारथ पथ परम् सुजाना ।। भरतु हंस राबिबन्स तड़ागा ।जनमि कीन्ह गुण दोष बिभागा।।

रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम के परिसर में 9 दिन चली
रामकथा के के समापन के दिन आचार्य रामानुज ने सब लोगों को अध्यात्म मार्ग पर अग्रसर होने के लिए जो मंत्र बताएं उसमें तपस्या का महती योगदान बताया.
रामायण से श्री भरत जी को परमहंस बताते हुए कहा की परमहंस पद किसी को मिला है इसका मतलब है कि हमे भी मिलसकता है , तपबल से सब संभव है .
देवत्रयी (ब्रह्मा, विष्णु, महेश)  भी स्वयं तप बल से सृष्टि की रचना पालन एव संहार करते है !
भारत के बाल्यकाल जीवन से लेकर भगवान राम के अयोध्या में वापस आकर राजाराम बनने तक अलग-अलग घटनाक्रम के माध्यम से यह सिद्ध किया कि भरत जी परमहंस की स्थिति को प्राप्त थे
शारीरिक आलस्य से ज्यादा सत्संकल्पो की आलस्य ज्यादा घातक है , समस्या हमे कुछ सीखने के लिए आती है , ।
उन्होंने कहा परमहंस को भगवान प्रेम करते है ,परमहंस एक स्वभाव है ,।

युवाओं के लिए उन्होंने विशेष कहा कि जीवन मे कोई न कोई सद्गुरुस्वरूप मार्गदर्शक होना चाहिये ,जो हमारी कठिन स्थिति में हमे सही मार्ग बताए ।
परमहंस पथ पर आगे बढ़ना हो तो गलत लोगो का संग मत करना , ऐसे लोग आपको मंदिर नही कोपभवन के अंधेरे में लेजाएँगे , केकयी साथ ऐसा हि हुआ ।
व्यक्ति को चाहिए कि आवश्यकता से अधिक न बोले.
कथा के अंत में सेवा संघ के सचिव सामी विश्वेशआनंद ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा के इन 9 दिनों में बड़े-बड़े संतो का सानिध्य मिला, जिनमें जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी, महंत रविंद्रपुरी, स्वामी चिदानंद मुनि, हंस फाउंडेशन से मंगला माता, स्वामी परमात्म देव जी के आशीर्वचन सुनने को मिले. विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी, पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण जी, दिव्य प्रेम सेवा मिशन से आशीष गौतम जी ,हरिद्वार जिला के प्रशासनिक अधिकारी, जिला अधिकारी विनय शंकर पांडे, वेदों के ज्ञाता प्रोफेसर महावीर अग्रवाल जी ,सिडकुल से अरुण सारस्वत, मुस्कान फाउंडेशन से नेहा मलिक, क्षेत्रों के विशेषज्ञ मौजूद रहे।

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