परम तपस्वी व विरक्त संत थे स्वामी चेतनानंद गिरि महाराजः रामानंद गिरि


हरिद्वार
श्री चेतनानंद गिरि आश्रम सन्यास रोड़ कनखल में आश्रम के संस्थापक ब्रह्मलीन श्रीमहंत चेतनानंद गिरि महाराज का 43वां निर्वाणोत्सव बड़े ही धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में संतों, महंतों व भक्तों ने भाग लिया और श्रीमहंत चेतनानंद गिरि महाराज की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। आश्रम के परमाध्यक्ष श्रीमहंत रामानंद गिरि व उप महंत कृष्णानंद गिरि जी महाराज की अध्यक्षता में आयोजित निर्वाणोत्सव का शुभारम्भ गणेश पूजन व अखण्ड श्री रामचरित मानस के पाठ से हुआ। रविवार को मानस की पूर्णाहुति व श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया गया।


श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित करते हुएमहंत रविदेव शास्त्री महाराज ने ब्रह्मलीन स्वामी चेतनानंद गिरि महाराज को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उन्हें तपस्वी संत बताया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से स्वामी चेतनानंद गिरि जी महाराज ने लोक कल्याण व परमात्म प्राप्ति के लिए अपना जीवन समर्पित किया व हम सभी के लिए प्रेरणादायी है। स्वामी चेतनानंद गिरि महाराज को कई सिद्धियां प्राप्त थी। अपने तपोबल के कारण उन्होंने लोगों का कल्याण किया।
स्वामी योगेन्द्रानंद शास्त्री महाराज ने कहा कि स्वामी चेतनानंद गिरि महाराज अनन्य उपासक थे। उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी। समारोह की अध्यक्षता करते हुए चेतनानंद गिरि आश्रम के परमाध्यक्ष महंत रामानंद गिरि महाराज ने कहा कि दादा गुरु परम तपस्वी व विरक्त संत थे। उनकी शरण में जो भी आया, वह कुछ न कुछ अवश्य लेकर गया, किन्तु उन्होंने कभी भी किसी से किसी भी प्रकार की याचना नहीं की। संन्यास के पश्चात उत्तरकाशी की कंदराओं में तपस्या करने गए दादा गुरु अपने गुरु भगवान स्वामी गिरिशानंद गिरि महाराज के आदेश से पुनः हरिद्वार लौटे और आश्रम की स्थापना कर लोक कल्याण का कार्य किया। उन्होंने कहा कि गौ, ब्राह्मण व नर सेवा में ही वे लगे रहते थे। उन्हीं का पुण्य प्रताप है कि आज आश्रम उन्नति की ओर अग्रसर है तथा उनके द्वारा स्थापित सेवा के प्रकल्प आज भी जारी है।


समारोह का संचालन करते हुए आश्रम के स्वामी कृष्णानंद गिरि महाराज ने कहा कि जो मार्ग गुरु परम्परा से उन्हें दिखाया गया है, उसी मार्ग को वे अनुसरण कर रहे हैं। दादा गुरु स्वामी चेतनानंद गिरि महाराज की भांति की तपस्वी संतों की परम्परा आश्रम में चली आ रही है। आगामी 22 जनवरी 2024 का दिन भी हम सभी सनातनियों के लिए सौभाग्य का दिन है। इस दिन भगवान श्रीराम लला अपने भव्य मंदिर में विराजमान होंगे। इस कारण से हमें इस दिन को श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाते हुए दीपदान अवश्य करना है। उन्होंने कहा कि लम्बे संघर्ष के बाद इस दिन के हम सभी साक्षी बनने जा रहे हैं। श्रीराम हमारी संस्कृति के आधार हैं। उन्होंने सभी से 22 जनवरी को उत्सव मनाने की अपील की। इस अवसर पर सूर्य मोहन गिरि महाराज, हरि शंकर गिरि, स्वामी कमलानंद, मनोहर लाल, रविंद्र ग्रोवर, मुकेश गावा, दिनेश चुग, मुकेश सुखीजा, श्याम लाल ग्रोवर, जैकी ग्रोवर, मोहन लाल चुग, विजेंद्र चुग, योगेश चुग, राजेंद्र कुमार आदि उपस्थित रहे।

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