भगवान शिव के अवतार काल भैरव के जन्मोत्सव के पावन अवसर पर जूना अखाड़े में निकाली भव्य शोभायात्रा…

हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।

हरिद्वार। भगवान शिव के अवतार काल भैरव के जन्मोत्सव के पावन अवसर पर श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रमों की श्रृंखला में मंगलवार को जूना अखाड़े द्वारा भव्य शोभायात्रा निकाली गई। जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक तथा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरी महाराज व अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरी महाराज के निर्देशन में नागा सन्यासियों साधु-संतों व श्रद्धालु भक्तों ने नगर के प्रमुख बाजारों में भगवान आनंद भैरव अर्थात बटुक भैरव की शोभायात्रा निकाली। जूना अखाड़े स्थित भगवान आनंद भैरव के पौराणिक मंदिर से आनंद भैरव की पूजा अर्चना के पश्चात रथ में सवार शोभायात्रा प्रारंभ की गई। बैंड-बाजे, ढोल-नगाड़ों के साथ-साथ श्री परशुराम अखाड़े के वीरों द्वारा तलवारबाजी, गदा, फरसा तथा अन्य अस्त्र-शस्त्रों के प्रदर्शन के साथ बाल्मीकि चौक, दत्तात्रय चौक, हर की पैड़ी, मोती बाजार, बड़ा बाजार होते हुए माया देवी मंदिर पहुंची। शोभायात्रा का स्थानीय नागरिकों व्यापारियों तथा श्रद्धालु भक्तों द्वारा जगह-जगह पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया तथा भगवान आनंद भैरव की पूजा अर्चना की।

पौराणिक श्री आनंद भैरव मंदिर के मुख्य पुजारी वशिष्ठ गिरी महाराज ने बताया कल बुधवार को भगवान भैरव का जन्मोत्सव है। इस अवसर पर भगवान आनंद भैरव का विशिष्ट श्रृंगार किया जाएगा। पौराणिक परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार मध्य रात्रि में भैरव भगवान का उत्सव मनाया जाएगा तथा विशेष महाआरती की जाएगी। इस मौके पर नागा सन्यासियों के अतिरिक्त हजारों श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहेंगे। बृहस्पतिवार को प्रसाद वितरण किया जाएगा। श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने काल भैरव भगवान को शिव का ही अवतार बताते हुए कहा कि 16 नवंबर बुधवार को काल भैरव अष्टमी को उनका जन्म उत्सव जूना अखाड़े में धूमधाम से मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि काल भैरव भगवान शिव का रूद्र रूप है।

मान्यता है कि इस दिन इनका व्रत पूजा करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और सभी मनोरथ पूरी कर देते हैं। वर्तमान में भैरव की उपासना बटुक भैरव तथा काल भैरव के रूप में प्रचलित है। काल भैरव रौद्र रूप के लिए जाने जाते हैं जो नकारात्मक शक्तियों को दंड देते हैं तथा सभी प्रकार के तंत्र-मंत्र प्रेत बाधाओं से अपने भक्तों की रक्षा करते हैं । इन्हें भीषण भैरव, चंद्र भैरव, क्रोध भैरव, रूद्र भैरव, असितांग भैरव, संहार भैरव, कपाली भैरव तथ उन्मुक्त भैरव के रूप में भी जाना जाता है। इसके विपरीत बटुक भैरव अथवा आनंद भैरव इनका सौम्य रूप है। यह अपने भक्तों को सौम्य रूप में अभय प्रदान करते हैं तथा उनकी रक्षा करते हैं। श्रीमहंत हरी गिरी महाराज ने बताया काल भैरव को खिचड़ी, गुड़, तेल, चावल आदि का भोग लगाया जाता है। इनकी पूजा अर्चना के पश्चात भगवान शिव पार्वती गणेश तथा कार्तिकेय जी की पूजा अवश्य करनी चाहिए साथ ही इनके वाहन कुत्ते को मीठी रोटी या गुड़ के पुए अवश्य खिलाने चाहिए।

मंगलवार को निकाली गई शोभायात्रा में अखाड़े के राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत महेश पुरी, श्रीमहंत पशुपति गिरी, थानापति कोठारी महंत महाकाल गिरी, महंत हीरा भारती, श्रीमहंत सुरेशनंद सरस्वती, थानापति राजेंद्र गिरी, महंत रतन गिरी, महंत राज गिरी, महंत अमृत पुरी, महंत भीषम गिरी, महंत ग्वाला पुरी सहित बड़ी संख्या में साधु-संतों के अलावा आम श्रद्धालु भी शामिल हुए।

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