बीजेपी कार्यालय में धूमधाम से मनी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती, जानिए…

हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।

हरिद्वार। शनिवार को जिला कार्यालय भाजपा हरिद्वार पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती मनाई गई। जिसमें पंडित दीनदयाल जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित की गई। उपस्थित पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष डॉ. जयपाल सिंह चौहान ने बताया कि पंडित दीनदयाल जी की जयंती जिले के सभी बूथों पर मनाई जा रही है। पंडित दीनदयाल जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का जीवन काफी कठिन परिस्थितियों में गुजरा 25 सितम्बर, 1916 को जयपुर से अजमेर मार्ग पर स्थित ग्राम धनकिया में अपने नाना पण्डित चुन्नीलाल शुक्ल के घर जन्मे दीनदयाल उपाध्याय ऐसी ही विभूति थे। श्रद्धये दीनदयाल जी के पिता श्री भगवती प्रसाद ग्राम नगला चन्द्रभान जिला मथुरा उत्तर प्रदेश के निवासी थे। तीन वर्ष की अवस्था में ही उनके पिताजी का तथा आठ वर्ष की अवस्था में माताजी का देहान्त हो गया। श्रद्धये दीनदयाल का पालन रेलवे में कार्यरत उनके मामा ने किया। ये सदा प्रथम श्रेणी में ही उत्तीर्ण होते थे। कक्षा आठ में उन्होंने अलवर बोर्ड, मैट्रिक में अजमेर बोर्ड तथा इण्टर में सर्वाधिक अंक पाये थे। 14 वर्ष की आयु में इनके छोटे भाई शिवदयाल का देहान्त हो गया। 1939 में उन्होंने सनातन धर्म कॉलेज कानपुर से प्रथम श्रेणी में बी.ए. पास किया। यहीं उनका सम्पर्क संघ के उत्तर प्रदेश के प्रचारक श्री भाऊराव देवरस से हुआ। इसके बाद वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए एम.ए. करने के लिए वे आगरा आये पर घरेलू परिस्थितियों के कारण स्नातकोत्तर की पढ़ाई को पूरा नहीं कर पाये। प्रयाग से इन्होंने एल.टी की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। संघ के तृतीय वर्ष की बौद्धिक परीक्षा में उन्हें पूरे देश में प्रथम स्थान मिला था। अपनी मामी के आग्रह पर उन्होंने प्रशासनिक सेवा की परीक्षा दी। उसमें भी वे प्रथम स्थान पर रहे तब तक वे नौकरी और गृहस्थी के बन्धन से मुक्त रहकर संघ को सर्वस्व समर्पण करने का मन बना चुके थे। इससे इनका पालन-पोषण करने वाले मामा जी को बहुत कष्ट हुआ। इस पर दीनदयाल जी ने उन्हें एक पत्र लिखकर क्षमा माँगी। वह पत्र ऐतिहासिक महत्त्व का है। 1942 से उनका प्रचारक जीवन गोला गोकर्णनाथ (लखीमपुर, उ.प्र.) से प्रारम्भ हुआ। 1947 में वे उत्तर प्रदेश के सहप्रान्त प्रचारक बनाये गये। 1951 में डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने नेहरू जी की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीतियों के विरोध में केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल छोड़ दिया। वे राष्ट्रीय विचारों वाले एक नये राजनीतिक दल का गठन करना चाहते थे। उन्होंने संघ के तत्कालीन सरसंघचालक श्री गुरुजी से सम्पर्क किया। गुरुजी ने श्रद्धये दीनदयाल जी को उनका सहयोग करने को कहा। इस प्रकार ‘भारतीय जनसंघ’ की स्थापना हुई। दीनदयाल जी प्रारम्भ में उसके संगठन मन्त्री और फिर महामन्त्री बनाये गये। 1953 के कश्मीर सत्याग्रह में डॉ. मुखर्जी की रहस्यपूर्ण परिस्थितियों में मृत्यु के बाद जनसंघ की पूरी जिम्मेदारी दीनदयाल जी पर आ गयी। वे एक कुशल संगठक, वक्ता, लेखक, पत्रकार और चिन्तक भी थे। लखनऊ में राष्ट्रधर्म प्रकाशन की स्थापना उन्होंने ही की थी। एकात्म मानववाद के नाम से उन्होंने नया आर्थिक एवं सामाजिक चिन्तन दिया, जो साम्यवाद और पूँजीवाद की विसंगतियों से ऊपर उठकर देश को सही दिशा दिखाने में सक्षम है। उनके नेतृत्व में जनसंघ नित नये क्षेत्रों में पैर जमाने लगा। 1967 में कालीकट अधिवेशन में वे सर्वसम्मति से अध्यक्ष बनायेे गये। चारों ओर जनसंघ और दीनदयाल जी के नाम की धूम मच गयी। यह देखकर विरोधियों के दिल फटने लगे। 11 फरवरी, 1968 को वे लखनऊ से पटना जा रहे थे। रास्ते में किसी ने उनकी हत्या कर मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर लाश नीचे फेंक दी। इस प्रकार अत्यन्त रहस्यपूर्ण परिस्थिति में एक मनीषी का निधन हो गया।
जिला उपाध्यक्ष संदीप गोयल ने गोष्टी में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन एकात्म मानववाद के विषय में बोलते हुए कहा एकात्म मानववाद एक ऐसी विचारधारा है जिसके केंद्र में व्यक्ति फिर व्यक्ति से जुड़ा परिवार , परिवार से जुड़ा समाज , राष्ट्र , विश्व फिर अनंत बृह्मांड सम्मिलित है सभी एक दूसरे से जुड़कर अपना अस्तित्व कायम रखते हैं । एकात्म मानववाद दर्शन की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि समाजवादी एवं पूंजीवादी विचारधाराएं केवल मानव के शरीर एवं मन की आवश्यकताओं पर विचार करती हैं जबकि मनुष्य के संपूर्ण विकास के लिए आध्यात्मिक विकास भी उतना ही आवश्यक है उन्होंने कहा पंडित दीनदयाल एक ऐसे युग दृष्टा थे जिनके विचारों एवं सिद्धांतों के बीज ने देश को एक वैकल्पिक विचारधारा देने का काम किया है उनकी विचारधारा सत्ता प्राप्ति के लिए नहीं बल्कि राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए थी राष्ट्र उनके प्रति सदैव कृतज्ञ रहेगा।

इस अवसर पर जिला उपाध्यक्ष अनिल अरोड़ा, प्रदेश सह मीडिया प्रभारी सुनील सैनी, जिला कार्यालय प्रभारी लव शर्मा, जिला मंत्री आशु चौधरी, अनुसूचित मोर्चा जिला अध्यक्ष तेलुराम प्रधान, वरिष्ठ कार्यकर्ता आई.पी. सिंह एवं संजीव त्यागी आदि पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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