कुंभ समाप्त करने वाले संत है कालनेमि राक्षस- स्वामी आनंद स्वरूप।

हरिद्वार/तुषार गुप्ता

 

सन्यासी के 5 अखाड़ों द्वारा कुम्भ समाप्ति की घोषणा किए जाने के बाद मामला तूल पकड़ता जा रहा है जहां इसका विरोध वैरागी संत इस पर अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं तो वही आज शंकराचार्य परिषद के सर्वपति शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप ने कुम्भ समाप्ति की घोषणा करने वाले संतो को कालनेमि के समान बताया है। उनका कहना है कि कुम्भ समाप्ति की घोषणा करने वाले जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर को कोई हक नहीं है कि वह कुम्भ जैसे धार्मिक आयोजन की समाप्ति की घोषणा करें । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर हुई वार्ता के बाद आचार्य महामंडलेश्वर इतने उत्साहित हुए दिए उन्होंने की कुंभ स्नान को प्रतीकात्मक रूप से किए जाने के सुझाव पर उन्होंने कुम्भ समाप्ति की घोषणा ही कर दी । जिसका उनको कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने यहां तक कहा कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आचार्य महामंडलेश्वर का कोई पद नहीं होता है यह पद केवल शंकराचार्य की अनुपस्थिति के कारण ही बनाया गया था जिसका अब कोई औचित्य नहीं रह जाता है। उन्होंने कहा कि कुम्भ एक नियत तिथि से प्रारंभ होकर नियत तिथि पर ही समाप्त होता है, यह किसी व्यक्ति विशेष के कहने मात्र से समाप्त नहीं होता। उन्होंने कहा कि संतो को राजनेताओं की चाटुकारिता बंद करनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि कुम्भ के संबंध में अगर किसी को कुछ करने का अधिकार है तो वह शंकराचार्य ही हैं उन्होंने कहा कि अखाड़ों को चाहिए था कि अपना सुझाव बनाकर शंकराचार्य के पास भेजते और फिर जब शंकराचार्य कोई निर्णय लेते हैं उसी के बाद कोई तिथि घोषित कर इस तरह का निर्णय लिए जाना उचित था ।

 

 

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!