श्री अखण्ड परशुराम अखाड़े ने किया श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन, देखें वीडियो…

हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।

हरिद्वार। नवरात्रों के अवसर पर श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के तत्वाधान में श्री परशुराम घाट पर आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा के शुभारंभ पर गौरी गणेश पूजन, नवग्रह पूजन, सर्वतोभद्र मंडल पूजन एवं मां भगवती का पूजन विधि विधान के साथ किया गया। कथा के शुभारंभ से पूर्व भव्य कलश यात्रा निकाली गयी।
श्रद्धालुओं को प्रथम दिवस की कथा का श्रवण कराते हुए कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि प्रत्येक मनुष्य को देवी भागवत कथा का श्रवण एवं आयोजन अवश्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रीमद् देवी भागवत महात्म्य में कथा आती है कि जब कंस ने देवकी और वासुदेव की 06 संतानों का वध कर दिया तब स्वयं वासुदेव ने अपने कुल गुरु गर्गाचार्य के कहने पर श्रीमद् देवी भागवत कथा का संकल्प गर्गाचार्य को दिया। संकल्प पूर्वक कुलगुरू गर्गाचार्य द्वारा देवी भागवत कथा का आयोजन कराया गया। जिसके प्रभाव से स्वयं देवी मैया ने योग माया का रूप धारण कर सातवें गर्व का आकर्षण करा कर देवी रोहिणी के गर्भ में प्रवेश कराया और जब देवकी के अष्टम में गर्भ हुआ। मां भगवती योग माया की कृपा से कंस एवं कंस के समस्त पहरेदार सो गए और वासुदेव अपने बालक को लेकर नंद भवन में छोड़ आए और वहां नंदरानी यशोदा के गर्भ से जो स्वयं मां भगवती योगमाया का जन्म हुआ। उसे लेकर कंस के काराग्रह में पहुंचे। योगमाया के कंस के कारक ग्रह में आते ही कंस नींद से जाग गया और कारक ग्रह में आकर के योग माया का पैर पकड़ कर के जब पृथ्वी पर पटका। वह हाथ से छूट करके अष्टभुजी दुर्गा का रूप धारण करके कहती है। कंस तुझे मारने वाला तेरा काल तो कहीं और जन्म ले चुका है। इस प्रकार से देवी भागवत के प्रभाव से देवकी वसुदेव के अष्टम गर्भ कृष्ण की रक्षा हुई। शास्त्री ने बताया इसी प्रकार से जो देवी भागवत कथा का श्रवण करता है। पाठ करता है, आयोजन करता है। मां भगवती उसकी एवं उसके परिवार की रक्षा करती है। कथा व्यास पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि प्रथम दिवस मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। जब दक्ष यज्ञ में सती ने अपने प्राण त्याग दिए भगवान शिव समाधिस्थ हो गए। तारकासुर नामक असुर ने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया कि मेरी मृत्यु शिवपुत्र के हाथों हो। तब मां भगवती हिमांचल के यहां पर मां मैना के गर्भ से जन्म लेती है और मां भगवती का नाम शैलपुत्री पड़ता है। जो भी भक्त प्रथम दिवस मां शैलपुत्री का पूजन करता है। मां भगवती उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करती है।

पंडित अधीर कौशिक, अध्यक्ष, श्री परशुराम अखाड़ा।

श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने बताया कि नवरात्र के पावन अवसर पर श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन समस्त भक्तों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगा। सभी भक्तजन कथा का श्रवण कर मां भगवती का आशीर्वाद कृपा अवश्य प्राप्त करें।

इस अवसर पर हरिद्वार मेयर अनिता शर्मा, प्रीत कमल, समाजसेवी जगदीशलाल पाहवा, बाबा हठयोगी, स्वामी रूद्रानंद महाराज, पंडित सतीश कुमार शर्मा, आचार्य पंडित विष्णु शर्मा, रविकांत शर्मा, कुलदीप शर्मा, रामकुमार शर्मा, हर्ष शर्मा, विष्णु शर्मा, मनु शर्मा, आर्यन शर्मा, सोनिया कौशिक, शीतल कश्यप, नेहा कश्यप, श्वेता कश्यप, दीक्षा कश्यप, माही कश्यप आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

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