लावारिस जानवरों के लिये बुजुर्ग बनी माँ अन्नपूर्णा।
Haridwar/ Tushar Gupta
धर्मनगरी हरिद्वार के कनखल स्थित चेतन देव की कुटिया में रहने वाली कौशल्या देवी खुद तो अकेली हैं, लेकिन दस से अधिक कुत्तों को पाल रही हैं। इनमें अधिकतर सड़क दुर्घटनाओं की चपेट में आने से दिव्यांग हैं। ये सब कुत्ते उनकी ही कुटिया में रहते हैं। कौशल्या देवी के पति का पिछले साल का निधन हो गया था। शादीशुदा तीन बेटियों पर ही उनके भरण-पोषण की निर्भरता है। बेटियों से मिलने वाले खर्च को कौशल्या लावारिस कुत्तों के इलाज और उनका पेट भरने में लुटा देती हैं। कोविड कर्फ्यू के दौरान वह सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्तों, गाय का भी सहारा बन रही हैं वें लावारिस पशुओं और पक्षियों को खाना तो खिलाती ही हैं साथ ही गायों को हरा चारा भी उपलब्ध कराती हैं। दुकानें बंद होने से मुश्किल से उनके लिए दूध और बिस्कुट जुटाती हैं। खुद घर से रोटियां बनाकर खिलाती हैं। वह कहती हैं कि पशु एवं पक्षियों से उनको बेहद लगाव है। उनकी सेवा कर मन को शांति मिलती है। कौशल्या देवी ने बताया कि पिछले 18-20 वर्ष से वह ये कार्य कर रहीं हैं हालांकि इसमें कई बार परेशानियां भी आती हैं, कुछ लोगों को उनका ऐसा करना अच्छा भी नहीं लगता। कौशल्या देवी ने बताया कि उनके इस मानवीय कार्य को लेकर 04 साल पहले उन पर ईंट-पत्थर से जानलेवा हमला भी हो चुका है जिसकी पुलिस कंप्लेंट भी कराई गई थी। जोकि अब भी बदस्तूर जारी है। लगभग 10 से 12 कुत्तों को वो रोज़ाना भोजन खिलाती हैं। उन्होंने लोगों से अपील भी की कि इन बेजुबां जानवरों के लिए आगे आएं और इनकी मदद करें।