गुरू के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है गुरू पूर्णिमा -श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह।

हरिद्वार। रविवार को गुरू पूर्णिमा के अवसर पर कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज के संयोजन में अखण्ड पाठ और शबद कीर्तन का आयोजन किया गया। अखाड़े के कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज, अखाड़े के संतों और श्रद्धालु भक्तों ने श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज का पूजन कर उनसे आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि भारत ऋषि परंपरांओं का मानने वाला देश है। भारत में अनादि काल से गुरू शिष्य परंपरा चली आ रही है। गुरू पूर्णिमा शिष्यों द्वारा गुरू के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है। उन्होंने कहा कि गुरू ही शिष्य को अज्ञान रूपी से अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि शिष्य के जीवन में गुरू का विशेष स्थान है। संस्कार और शिक्षा का जीवन में बड़ा महत्व है। माता पिता बालक को संस्कार प्रदान करते हैं तो गुरू शिष्य को शिक्षा प्रदान उसके जीवन को प्रगति की और ले जाते हैं। ज्ञान और शिक्षा अमूल्य हैं। सभी शिष्यों को समान रूप से ज्ञान और शिक्षा प्रदान करने वाले गुरू को शास्त्रों में भी सर्वोच्च स्थान दिया गया है। इस अवसर पर साहिब सिंह जालंधर, महंत हरदेव सिंह, महंत बलवीर सिंह, महंत दर्शन सिंह शास्त्री, महंत अमरजीत सिंह, संत जरनैल सिंह, संत सुखमन सिंह, महंत निर्भय सिंह, महंत गुरप्रीत सिंह, महंत वीर सिंह, महंत मलकीत सिंह, महंत हरिसिंह, महंत अमनदीप सिंह, महंत खेमसिंह, महंत गुरूकृपाल सिंह, महंत जसकरण सिंह, संत सुखजीत सिंह, संत जोबनप्रीत सिंह, समाजसेवी अतुल शर्मा सहित बड़ी संख्या में संत व श्रद्धालु मौजूद रहे।

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