गढ़वाल महासभा ने हर्ष एवं उल्लास पूर्वक मनाया इगास महापर्व…

हरिद्वार। गढ़वाल महासभा द्वारा शिवधाम कालोनी टिहरी विस्थापित में उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा के प्रतीक लोकपर्व इगास धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ माँगल गीत से किया गया, लोक संस्कृतिक कार्यक्रमो की सुंदर प्रस्तुति की गई। बच्चों ने उत्तराखंड का पारंपरिक परिधान पिछौड़ा पहनकर रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इसके साथ सुंदर आतिशबाजी और भेलो नृत्य किया गया।

गढ़वाल महासभा के संरक्षक महंत अनिल गिरी जी ने इगास पर्व के महत्व एवं आवश्यकता के बारे में बताया। उत्तराखंड में दिवाली के दिन को बग्वाल के रूप में मनाया जाता है। दीवाली से 11 दिन बाद इगास यानी बूढ़ी दीपावली के रूप में मनाया जाता है। अध्यक्ष मुकेश जोशी जी ने कहा कि इस पर्व के दिन सुबह मीठे पकवान बनाए जाते हैं। रात में स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना के बाद भैला एक प्रकार की मशाल जलाकर उसे घुमाया जाता है और ढोल-नगाड़ों के साथ आग के चारों ओर लोक नृत्य किया जाता है।


कार्यक्रम का संचालन अनिल गिरी औऱ रीता चमोली द्वारा किया गया। इस अवसर पर अनूप दूकलान जी ने कहा कि जो छूट गए, जो पिछड़ गए हैं और जो अधिकारों से वंचित रह गए हैं, सरकारें उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कई योजनाएँ बनाती है। लोक-समाज, पर्व-त्योहार बनाता है. सबके हिस्से में हर्ष-उल्लास सुनिश्चित करने के लिए उत्तराखण्ड का इगास त्योहार, जो कहीं बूढ़ी दीवाली के नाम से भी मनाया जाता है। मनु रावत ने कहा कि चाहे वो रामचंद्रजी की विजयोपरांत अयोध्या लौटने के शुभ-समाचार से वंचित रहे हों या फिर किसी युद्ध में फँसा महाबली भीम जो दीपावली मनाने से वंचित रह गया था या स्वाभाविक अधिकारों से वंचित पितामह भीष्म या फिर गढ़वाल का वीर-शिरोमणि माधो सिंह भण्डारी जो सोलह श्राद्ध और बारह बग्वाली से वंचित रह गया था यह त्योहार उसी को समर्पित है।

पुरुषोत्तम गोदियाल ने कहा कि इगास समर्पित है उन ग्वैर छोरों (ग्वालों) को जिनके हिस्से पशु-चारण रहा जो कृषि-सहायक पशुओं के निकटस्थ रहे. इगास पर्व उस बिरादरी को भी उत्सव मनाने का अवसर प्रदान करता है जिस बिरादरी के किसी परिवार में मृत्युशोक के कारण त्योहार मनाने की व्रजना हो। इगास के अवसर पर ये व्रजना परिवार विशेष तक ही सीमित कर दी जाती है। बी.पी. मन्दोलिया ने कहा कि इगास उत्तराखण्ड का अद्भुत त्योहार है. इसका समकक्ष देश भर में नहीं दिखता. एक ऐसा त्योहार जिसमें फिजूलखर्ची की होड़ नहीं है, जिसमें अपनी खुशी के आगे गैरों के अभावों की अनदेखी नहीं है और जिसमें पीछे रह गए, वंचितों को भी हर्ष-उल्लास में शामिल करने का पूरा अवसर दिया जाता है।

प्रमोद डोभाल ने कहा कि इगास, उत्तराखण्ड का आइकन त्योहार है। पूरी तरह तार्किक और जनपक्षीय. इगास उत्तराखण्ड के लोकसमाज का गौरव है जो शेष समाज के लिए काबिले-रस्क़ है। इगास उत्तराखण्ड का ऐसा लोकपर्व है जो प्रकृति में समावेशी है, सर्वहितचिंतक है और प्राकृतिक न्याय का पोषक है। ये कहते और सोचते हुए गर्वानुभूति होना स्वाभाविक है कि हम उस प्रदेश के वासी हैं जहाँ इगास मनाया जाता है।

कार्यक्रम में पीएसी कमांडर सुरजीत सिंह पंवार, क्वाटर मास्टर राज पाल सिंह रावत, अनूप डुकरान, रश्मि चौहान, समाजसेवी आलम सिंह रावत, दीपक नेगी, रामपाल रावत, अनुज कोटियाल, मनु रावत, रीता चमोली, सुषमा रावत, बिमला ढोडियाल, मंजू नोटियाल, निशा नोडियाल, राकेश चतुर्वेदी, पवनदीप, अशोक, मुकेश कोटियाल, रामेश्वर रावत, सुभाष ढोडियाल, सूरज डोभाल, तारा नेगी, देवेंद्र दत्त शर्मा, अनिता रावत, लक्ष्मी देवी, गीता देवी, मीनाक्षी चमोली, संदीप सैनी, सुनील पुरोहित, जानकी भट्ट आदि लोग शामिल हुए।

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