सीएम धामी ने कर दिया है ऐलान, अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस और अपराधियों का नहीं है देवभूमि में कोई स्थान…
उत्तराखण्ड / सुमित यशकल्याण।
देहरादून। पहाड़ की बेटी अंकिता की हत्या ने उत्तराखण्ड ही नहीं पूरे देश को झकझोर रखा है। प्रदेश में जगह-जगह इसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं और लोगों में व्यापक रूप से रोष है। स्वयं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस हत्याकांड से अत्यंत आहत हैं और वो खुद पूरे मामले की निगरानी कर रहे हैं। शुक्रवार को उन्होंने अंकिता के पैतृक गांव पहुंच दिवंगत बेटी के माता-पिता से मिल, इनके दर्द को साझा करने का प्रयास किया। अंकिता के माता-पिता से मिलने के बाद मुख्यमंत्री का भी गला रुंध गया और उन्होंने ने एक बार फिर दोहराया कि अंकिता के दोषियों को किसी भी रूप में बख्शा नहीं जाएगा। सीएम बोले कि ऐसा जघन्य अपराध करने वालों के लिए देवभूमि में कोई जगह नहीं है हमारा हर तरह से ये प्रयास रहेगा कि दोषियों को कठोर से कठोर सजा मिले। भावुक हुए मुख्यमंत्री ने अंकिता के माता पिता से कहा कि- मुझसे जो भी बन पड़ेगा मैं करूंगा और हर समय आपकी मदद और सहायता के लिए तैयार रहूंगा। इस से पहले मुख्यमंत्री द्वारा पीड़ित परिवार को 25 लाख रुपये बतौर सहायता राशि देने की भी घोषणा की गई थी। साथ ही परिजनों को त्वरित न्याय मिल सके, इसके लिये फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई के लिए न्यायालय से अनुरोध भी किया गया है।
18 सितंबर को लापता हुई अंकिता भंडारी का शव 24 सितंबर को चिल्ला नहर से बरामद किया गया था। आरोप है कि अंकिता जिस रिसॉर्ट में कार्यरत थी उसके संचालक उस पर अनैतिक काम करने का दबाव बना रहे थे। अंकिता के निकट रहे लोगों का ऐसा दावा है कि रिसोर्ट में देह व्यापर और नशे का कारोबार होता था जिसमें शामिल होने से अंकिता ने मना कर दिया था। इसी से नाराज हो कर रिसॉर्ट संचालकों ने उसकी हत्या कर दी। ये रिसॉर्ट भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य का है। मामला संज्ञान में आने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री जी ने मुख्य आरोपी पुलकित आर्य के भाई अंकित आर्य को उत्तराखंड अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष पद से हटा दिया। इतना ही नहीं सीएम धामी की सिफ़ारिश पर अंकित आर्य और उनके पिता विनोद आर्य को भाजपा से भी निष्कासित कर दिया गया। फिलहाल SIT मामले की जांच कर रही है और पुलकित आर्य समेत तीनों आरोपी पुलिस रिमांड पर हैं।
अंकिता के परिजनों से मुलाकात के अलावा शुक्रवार को ही सीएम धामी ने पुलिस के आला अधिकारियों के साथ एक बैठक की जिसमें पुलिस के कामकाज की समीक्षा की गई। बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि जन समस्याओं एवं जन शिकायतों का त्वरित समाधान हो और पुलिस इंटेलिजेंस को और अधिक सशक्त करने के लिए विशेष प्रयास किए जाएं। सीएम धामी के तेवरों को देख ये तय है कि वो कानून व्यवस्था को लेकर किसी भी प्रकार की हीलाहवाली के पक्ष में नहीं है। मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही वो लगातार सिस्टम की ओवरहॉलिंग का कार्य कर रहे हैं। भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ पहले दिन से सीएम धामी ने कड़ा रुख अपनाया हुआ है और लगातार इस पर प्रहार कर रहे हैं। बीते सप्ताह मुख्यमंत्री धामी ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा था कि उत्तराखंड में अब वो समय आ गया है कि जब निर्णय होंगे… धड़ाधड़ निर्णय होंगे और जनता के पक्ष में निर्णय होंगे। सीएम धामी का इरादा देख कर साफ है कि वो उत्तराखंड में भ्रष्टाचारियों और अपराधियों की नकेल कस कर ही दम लेंगे।