300 चीनियों को अकेले ढेर करने वाले उत्तराखंड के अमर जवान जसवंत सिंह रावत का आज हुआ था जन्म , जानिए।

हरिद्वार/ तुषार गुप्ता

आज ही दिन 80 साल पहले जन्मे भारत के अमर जवान जसवंत सिंह रावत की आज जयंती है. जसवंत सिंह का जन्म 19 अगस्त, 1941 को पौड़ी गढ़वाल के बाडयू पट्टी खाटली गांव में हुआ था. जसवंत ने 19 साल की उम्र में भारतीय सेना जॉइन कर ली थी. उन्हें चौथी गढ़वाल राइफल लैन्सडाउन (उत्तराखंड) में पोस्टिंग मिली थी. जसवंत सिंह जब अपनी ट्रेनिंग कर रहे थे, उस समय चीन ने पूर्वी भारत में घुसपैठ कर दी और मौके का फायदा उठाकर हमला कर दिया.

सीमा पर चीन की घुसपैठ को जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने नेफा क्षेत्र में चौथी गढ़वाल राइफल को भेजने का आदेश दिया. साल 1962 में चीन के साथ हुए उस युद्ध में जसवंत सिंह ने बिना सोए लगातार 72 घंटों तक चीन के साथ जंग लड़ी और उनके 300 से भी ज्यादा सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था. आखिर में देश के लिए कुर्बान हो गए. जसवंत सिंह चीन से भारत माता की रक्षा करते हुए 17 नवंबर, 1962 को शहीद हो गए. देश के लिए शहीद होने के बाद भी वे भारतीय सेना के अमर शहीद हैं. जिस जगह पर वे शहीद हुए थे, उसी जगह पर उनकी एक प्रतिमा है. इतना ही नहीं, उनकी सेवा में वहां 24 घंटे पांच जवान तैनात रहते हैं.

रोज कपड़े प्रेस होते हैं और जूतों में पॉलिश

यहां शहीद जसवंत के हर सामान को संभालकर रखा गया है. रोज उनके जूतों पर यहां रोजाना पॉलिश की जाती है. पहनने-बिछाने के कपड़े प्रेस किए जाते हैं. इस काम के लिए सिख रेजीमेंट के पांच जवान तैनात किए गए हैं. यही नहीं, रोज सुबह और रात की पहली थाली उनकी प्रतिमा के सामने परोसी जाती है.बताया जाता है कि सुबह-सुबह जब चादर और अन्य कपड़ों को देखा जाए तो उनमें सिलवटें नजर आती हैं। वहीं, पॉलिश के बावजूद जूते बदरंग हो जाते हैं.

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