एनआरआई बेटे की संदिग्ध मौत को लेकर 84 साल के बुजुर्ग पिता पुलिस से लगा रहे हैं एफआईआर दर्ज करने की गुहार, जानिए मामला…

देहरादून। पूर्व आईएएस अधिकारी, गृह मंत्रालय भारत सरकार कमल टावरी (स्वामी कमलानंद जी महाराज) ने पुलिस-प्रशासन की प्रताड़ना एवं हीला हवाली का शिकार होते चले आ रहे प्रमोद कुमार वात्सल्य को न्याय दिलाने एवं संघर्ष की लड़ाई लड़ने के साथ ही न्याय दिलाने का ऐलान किया है। उन्होंने प्रमोद वात्सल्य के पुत्र एनआरआई अमेरिका निवासी विजय वात्सल्य की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में यहां स्थानीय प्रशासन तथा पुलिस के डीजीपी पर कई सवालिया निशान खड़े किए हैं, तो वही उन्होंने प्रजातंत्र को लेकर समाज में वृद्धजनों के साथ हो रहे अन्याय पर भी गहरी चिंता व्यक्त की है I

शुक्रवार को देहरादून में उत्तरांचल प्रेस क्लब में प्रमोद वात्सल्य के पुत्र की संदिग्ध मौत व हत्या के आरोप के मामले एवं पुलिस द्वारा रिपोर्ट दर्ज न किए जाने को लेकर गहरी चिंता जताते हुए पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें इस बात का बेहद दुख एवं चिंता है कि आखिर स्थानीय पुलिस थाने में एक दु:खी 84 वर्षीय प्रमोद कुमार वात्सल्य के पुत्र की मृत्यु के मामले की रिपोर्ट 20 दिन का समय व्यतीत होने के बाद भी दर्ज क्यों नहीं की गई है? पिछले करीब 20 दिनों से एक वृद्ध व्यक्ति अपने पुत्र की संदिग्ध मौत तथा हत्या की आशंका जताते हुए मामले की जांच कराने एवं मामले में न्याय पाने के लिए रिपोर्ट दर्ज करवाना चाह रहा है, लेकिन यह बड़ा ही दु:ख का विषय है कि संबंधित पुलिस थाने से लेकर डीजीपी के दरबार तक पीड़ित वृद्ध सीनियर सिटीजन प्रमोद वात्सल्य का पक्ष नहीं सुना गया तथा मामले की एफआईआर दर्ज नहीं की गई। पूर्व आईएएस अधिकारी ने कहा कि वास्तव में यह बहुत ही बड़ा दुर्भाग्य और पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान है। उत्तरांचल प्रेस क्लब में मीडिया से मुखातिब होते हुए पूर्व आईएएस अधिकारी कमल टावरी ने कहा कि पुलिस प्रशासन तथा प्रदेश के पुलिस मुखिया डीजीपी ने पीड़ित पक्ष प्रमोद कुमार वात्सल्य के साथ उनके इस मामले को लेकर न सिर्फ अमर्यादित और अव्यवहारिक बर्ताव किया है बल्कि एक सीनियर सिटीजन को मानसिक रूप से पीड़ित करने का काम भी किया है। उन्होंने कहा कि संबंधित थाने के थानेदार को प्रथम दृश्यतया मामले की रिपोर्ट दर्ज न करने को लेकर माफी मांगनी चाहिए, बल्कि डीजीपी को भी चाहिए था कि वे थानेदार को निलंबित करते। उन्होंने कानून का पाठ पढ़ाने वाली पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि उन्हें हैरानी इस बात की हो रही है कि आखिर यहां का पुलिस-प्रशासन एक वृद्ध सीनियर सिटीजन व्यक्ति प्रमोद कुमार वात्सल्य के पुत्र विजय की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मृत्यु के मामले में रिपोर्ट दर्ज करने अथवा कराने के मामले में इतना क्रूर तथा संवेदनहीन कैसे हो सकता है? उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन तो न्याय का मंदिर होता है और वह हर सामान्य व्यक्ति को सुनकर उसे इंसाफ दिलाता है, लेकिन विजय वात्सल्य की संदिग्ध मौत को लेकर पुलिस आखिर क्यों कतराती चली आ रही है? आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है? जबकि प्रत्येक व्यक्ति का यह संवैधानिक अधिकार है कि वह अपने मामलों में एफआईआर दर्ज कराने का अधिकार रखता है। इस अवसर पर पीड़ित पक्ष प्रमोद कुमार वात्सल्य का स्वास्थ्य 02 दिन पूर्व ही इसी मामले की चिंता को लेकर बिगड़ने की बात भी मीडिया के सामने रखी गई। उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित की गई पत्रकार वार्ता के दौरान प्रमिला रावत तथा समाजसेवी रामकुमार अत्री ने भी विजय कुमार वात्सल्य की संदिग्ध मौत को हत्या करार देते हुए कहा कि इस मामले में पुलिस-प्रशासन इतना संवेदनहीन क्यों बना हुआ है। उन्होंने कहा कि मामले की एफआईआर पुलिस को तत्काल दर्ज करनी चाहिए और मामले की जांच निष्पक्ष रुप से हो, ताकि दोषी बेनकाब हो सके। वरिष्ठ समाजसेवी रामकुमार अत्री ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए इस मौके पर कहा कि विजय वात्सल्य की संदिग्ध मौत के मामले को लेकर अमेरिका में हमारे एक सहयोगी मित्र शेखर तिवारी ने यह मामला यू.एस. सिटीजन सर्विस सीनेटर तथा अमेरिकी सरकार की एंबेसी में पहुंचा दिया है और शीघ्र ही अमेरिकी सरकार की मदद से भारत सरकार इस मामले में सहयोग के लिए निश्चित रूप से आगे आएगी। पत्रकार वार्ता में वरिष्ठ समाज सेवी पुरुषोत्तम भट्ट ने भी कहा कि जिस समय विजय कुमार वात्सल्य का दाह संस्कार आनन-फानन में किया जा रहा था, उस समय वह खुद वहां मौजूद थे। उनका कहना है कि विजय कुमार वात्सल्य की संदिग्ध मौत के मामले की रिपोर्ट दर्ज कर मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

पत्रकार वार्ता में स्वयं पीड़ित चले आ रहे प्रमोद कुमार वात्सल्य के साथ संजय वात्सल्य, मनोज ध्यानी भी मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

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