डॉ सत्यपाल सिंह पुनः बने गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय के कुलाधिपति, तीनों आर्य प्रतिनिधि सभाओ में रोष ,जानिए मामला

हरिद्वार। भारत सरकार द्वारा रैगूलेशन 2023 केअन्तर्गत शिक्षा मन्त्रालय ने डा0सत्यपाल सिंह को गुरुकुल कांगड़ी (समविश्वविद्यालय) हरिद्वार का पुनः कुलाधिपतिपद पर नियुक्त किये जाने से छात्रों व कर्मचारियों में खुशी की लहर है,विश्वविद्यालय में उत्सव का माहौल है परन्तु वहीं आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब,हरियाणादिल्ली में घोर निराशा व हताशा का माहौल है। यह सभाएं बिल्कुल भी नहीं चाहती कि विश्वविद्यालय पर भारत सरकार का नियन्त्रण हो। ये विश्वविद्यालय की सत्ता पर अपने स्वार्थ पूर्ति हेतु सदैव काबिज रहना चाहते हैं, जब कि इन सभाओं ने आज तक एक पैसा भी विश्वविद्यालय हित में खर्च नहीं किया है। समस्त धन(ग्रांट) भारत सरकार द्वारा दी जाती है। सभाओं का कार्य तो सदैव इसकी सम्पत्ति कोखुर्द बुर्द करना ही है ।

  उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष प्रमोद कुमार ने बताया कि आर्यप्रतिनिधि सभा के पदाधिकारियों ने तो अपने स्वार्थों की पूर्ति हेतु विश्वविद्यालय के संस्थापक स्वामी श्रद्धानन्द जी को भी उनके अन्तिम समय में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से निकाल दिया था। इसके पश्चात जब भी आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब,हरियाणाव दिल्ली को मौका मिला, इन्होंने विश्वविद्यालय की सम्पत्ति को ही नहीं बेचा अपितु देश में जहां भी मौका मिला इन्होंने शिक्षा प्रदान किये जाने हेतु दान में प्राप्त की हुई सम्पत्ति को खुर्द बुर्द किया है। इन सभाओं द्वारा विशेष रूप से आर्यप्रतिनिधि सभा पंजाब ने हरिद्वार में भी गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की जमीन को बेचा गया ,

जिसमें कुछ इस प्रकार हैं:
1.         शंकर आश्रम, ज्वालापुर के पास की भूमि ।
2.         डा0 हरिराम आर्यइंटर कॉलेज,हरिद्वारकी भूमि ।
3.         डा0 हरिराम आर्यइंटर कॉलेज,हरिद्वारके पीछे की भूमि । 4.         डा0 हरिराम आर्यइंटर कॉलेज,हरिद्वारके सामने शिवा होटल वाली भूमि ।
5.   रोटरी रंगशाला,हरिद्वार वाली भूमि ।

6.         गुरुकुलकांगड़ी फार्मेसी के सामने वाली भूमि ।
7.         गुरुकुलकांगड़ी फार्मेसी के पीछे वाली भूमि ।
8.         गुरुकुल कांगड़ी में बड़े परिवार की पीछे, आंवला बाग की भूमि ।
9.         गुरुकुल बड़े परिवार के पीछे,लोकसेवाआयोग के बराबर की 144 बीघा भूमि ।
10.        मेरठ स्थित भवन ।

            वर्तमानमें इनका मूल्य अरबों रुपये में है। उपर्युक्त के अलावा अन्य काफी भूमि है जो प्रारम्भ में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार की थी और अब वहां पर कालोनियों बन गयी हैं। काफी भूमि को बचाने हेतु न्यायालयों में विश्वविद्यालय ने वाद दायर किये हैं जिन पर विश्वविद्यालय का काफी धन व्यय हो रहा है। अब भी सभाओं के पदाधिकारियों की नजर केवल विश्वविद्यालय की भूमि पर है।इन्होंने कभी भी विश्वविद्यालय के हित में कोई कार्य नहीं किया।

वर्तमान में डाॅ0सत्यपाल सिंह के द्वारा इन्हें ऐसा करने से रोकने के कारण इन तीनों आर्यप्रतिनिधि सभाओं (आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब, हरियाणाव दिल्ली) ने कुलाधिपति डा0सत्यपाल सिंह ज के विरुद्ध दुष्प्रचार आरम्भ कर दिया है।            कुछ समय पूर्व सभाओं तीनों प्रधानों ने आपस में बैठकर तमाम नियमों को ताक पर रखकर अपनेमें से ही एक आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के प्रधान पं0सुदर्शन शर्मा को विश्वविद्यालय का कुलाधिपति नियुक्त कर लिया।

अतःसमस्त आर्यजनों तथा भारत सरकार से अनुरोध है कि स्वामी श्रद्धानन्द की तपोभूमिगुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय को बचाने में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें। भारतसरकार के माननीय प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री से विनम्र निवेदन है कि सभाओं के पदाधिकारियों के द्वारा विश्वविद्यालय की बेची गयी समस्त भूमि की सी.बी.आई. अथवा निष्पक्ष न्यायिक जांच कराएं ,जिससे बेची गयी भूमि वापिस विश्वविद्यालय को मिल सके व जमीन बेचने वालों के नाम आर्य जगत में स्पष्ट हो सके ।

            सम्प्रतिगुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय परिवार एवं प्रशासन भारत के यशस्वी प्रधानमंत्रीएवं शिक्षामंत्री, भारतसरकार का हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं कि उन्होंने डीम्ड यूनिवर्सिटी रेगूलेशन्स 2023को स्वीकृति प्रदान कर लागू किया । आशा है इससे विश्वविद्यालय में पठन-पाठन कासम्यक् शैक्षिक वातावरण बन सकेगा ।

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