हरिद्वार में शराब कालाबाजारी और धंधे का कड़वा सच, जानिए।
हरिद्वार/ तुषार गुप्ता
लॉकडाउन में लोगो को अगल–अलग तरह की परेशानी आ रही। इनमे से एक है शराब की लत, कुछ लोगो ने दुकान ना खुलने के कारण इसे त्याग दिया परंतु कुछ लोग ने शाही अंदाज कायम रखा।बात की जाए धर्मनगरी हरिद्वार की वैसे तो यहा शराब बेचना अवैध है लेकिन हरिद्वार के कुछ चुनिंदा जगहों पर इसकी सालों से अवैध बिक्री हो रही है। आए दिन खबरों में पुलिस कर्मी द्वारा अवैध शराब कारोबारी रोजाना पकड़े जाते हैं परंतु हरिद्वार के कुछ अड्डे सालों से फल फूल रहे है अब इसमें प्रशासन दोषी है या आम जनता जो यह जान कर भी अनजान हो रही है।
ऐसा ही एक अड्डा है जो हरिद्वार के एक चर्चित मंत्री के निवास के पास है अगर वहां के बच्चे से भी पूछा जाए की यहां शराब कहां मिलती है तो वह आपको गली नंबर 3 का रास्ता इशारों से ही बता देगा। यह अड्डा भी हरिद्वार में सालों से अपना जाल बिछाए हुए हैं। पुराने रानीपुर मोड़, ज्वालापुर में कई क्षेत्र, गोविंद घाट के पास, ब्रहमपुरी और बीएचएल मैं भी कई क्षेत्र है जहां पर खुलेआम यह घिनौना काम होता है और प्रशासन इन्हें देख कर भी अनदेखा सा कर देता है।
कोरोना काल में जहा उत्तराखंड में 1 महीने से कर्फ्यू लगा है और शराब की समस्त दुकाने उत्तराखंड में बंद है वही इन शराब माफिया को दुगना मुनाफा भी हो रहा है। यह शराब माफिया अब कीमतों में कालाबाजारी पर उतर आए हैं लोगों से उनकी लत के बदले मनमानी के पैसे वसूल रहे हैं। यह कालाबाजारी में लोग और प्रशासन शायद इसलिए चुप है क्योंकि या तो उन्हें शराब की लत हो गई है या वह कुछ पैसों में अपना जमीर बेच चुके हैं।
मुद्दा यह नहीं है की शराब यहां महंगी मिल रही है, मुद्दा यह है की हरिद्वार धर्म की नगरी है और इस धर्म की नगरी में जहां आम दिनों मैं भी शराब बेचना गैर कानूनी है वहा कैसे कुछ अड्डे सालों से यहां अपने पैर जमाए हुए हैं। अंत में बस यही कहना है यह अवैध शराब की बिक्री धर्म नगरी में एक दाग की तरह है जो बाहर से आने वाले लोगों को नहीं दिखती परंतु हरिद्वार वासियों हरिद्वार वासियों पर यह दाग कभी मिटने से भी नहीं मिट सकता।