कोर्ट से दूसरी बार मुंह की खा कर दबे पांव हरिद्वार से निकले श्रीमहंत दुर्गादास, जानिए मामला…

हरिद्वार/ प्रयागराज। श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा के श्रीमहंत दुर्गादास गुट को दूसरा बड़ा झटका लगा है। अखाड़े के महंत दुर्गादास, महेश्वर दास द्वारा बैठक कर महंत रघुमुनि महाराज, कोठारी महंत दामोदर दास महाराज सहित अन्य संतो पर की गई कार्रवाई को कार्यालय सहायक रजिस्टर फर्म्स सोसाइटीज एंड चिट्स, प्रयागराज ने गलत करार दिया है।

15 सितंबर 1927 को श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा का प्रयागराज सहायक रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकरण किया गया था। जिसके जिसके अनुसार अखाड़े का लिखित सविधान है, अखाड़े को किस तरह से संचालित किया जाएगा और क्या व्यवस्था रहेगी यह पूरी एक संवैधानिक व्यवस्था है। 09 मई को श्री व्यास मुनि, अस्थाई सचिव द्वारा कार्यालय को अवगत कराया गया है कि अखाड़े की बैठक में सचिव अग्रदास को सेवा मुक्त किया गया है। जिसकी सूचना रजिस्टर के कार्यालय में दी गई थी। उसके बाद 12 मई को महंत अग्रदास द्वारा अपने निष्कासन को नियम विरुद्ध बताते हुए रजिस्ट्रार के सामने अपना निष्कासन रद्द करने का प्रत्यावेदन प्रस्तुत किया गया था। उसके बाद कार्यालय द्वारा अन्य पक्षों को नोटिस भेजकर उनका जवाब मांगा था। 02 जून को बड़ा उदासीन अखाड़ा कनखल हरिद्वार के कोठारी महंत श्री दामोदरदास ने कार्यालय में अपना पक्ष रखते हुए पत्र दिया, 06 जून को व्यास मुनि द्वारा पत्र दिया गया।

जिस पर सुनवाई करते हुए रजिस्ट्रार कार्यालय ने साधारण सभा और प्रबंध कारिणी समिति के 02 मई 2023 एवं 03 मई 2023 को बैठक में लिए गए निर्णय को प्रभावी ना मानने का आदेश जारी किया है साथ ही आदेश दिया है कि 02 मई से पहले पूर्व कार्यरत प्रबंध समिति को कार्य एवं दायित्व का निर्वाह में कोई बाधा उत्पन्न ना की जाए।

बता दें कि इससे पहले माननीय न्यायालय सिविल जज वरिष्ठ श्रेणी प्रयागराज द्वारा 23 मई को अखाड़े के तीन महंतो द्वारा किए गए कार्रवाई को अवैध बताते हुए स्टे दे दिया था, उसके बाद से महंत दुर्गादास हरिद्वार में पहुंचकर महंत रघु मुनि महाराज, कोठारी महंत दामोदर दास महाराज सहित अन्य संतों पर तरह-तरह के अनर्गल आरोप लगाते हुए बयानबाजी कर रहे थे, संतों के पास घूम-घूम कर पहले से अखाड़ा परिषद को लेकर दो धड़ों में बटे धर्मनगरी के संतो की गुटबाजी को हवा, खाद, पानी दे रहे थे, संतो से बयानबाजी करवा रहे थे, मुख्यमंत्री को मिलकर सुरक्षा की मांग भी कर रहे थे, इसी बीच सहायता रजिस्टर प्रयागराज के कार्यालय से दूसरा बड़ा झटका लगते ही महंत दुर्गादास अब हरिद्वार से मुंह की खा कर चुपचाप निकल गए हैं।

श्री महंत दुर्गादास का पक्ष जानने के लिए उन्हें तीन बार कॉल की गई, पहली बार उन्होंने कॉल जाने के बाद कॉल काट दी गई, दो बार उन्होंने फोन नहीं उठाया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!