वैदिक मंत्रों द्वारा यज्ञ कर 36वी पुण्यतिथि पर चौधरी चरण सिंह को किया गया याद
हरिद्वार। आज राष्ट्रीय लोकदल द्वारा चौधरी चरणसिंह की 36वीं पुण्यतिथि चौधरी चरणसिंह घाट (सिंहद्वारा) वैदिक मंत्रों द्वारा यज्ञ कर मनाई गई। सबसे पहले चौधरी चरणसिंह घाट (सिंह द्वार) पर वैदिक यज्ञ किया गया।
इस मौके पर चौधरी देवपाल सिंह राठी (पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष) ने कहा कि चरण सिंह उस समय एलएलबी के बाद एलएलएम किया जब बहुत कम लोग गांव में पढ़े लिखे होते थे। श्री सिंह ने गाजियाबाद से अपने पेशे की शुरुआत की। वे 1929 में मेरठ आ गये और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए।
वे सबसे पहले 1937 में छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए एवं 1946, 1952, 1962 एवं 1967 में विधानसभा में अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वे 1946 में पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने और राजस्व, चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य, न्याय, सूचना इत्यादि विभिन्न विभागों में कार्य किया। जून 1951 में उन्हें राज्य के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया एवं न्याय तथा सूचना विभागों का प्रभार दिया गया। बाद में 1952 में वे डॉ. सम्पूर्णानन्द के मंत्रिमंडल में राजस्व एवं कृषि मंत्री बने। अप्रैल 1959 में जब उन्होंने पद से इस्तीफा दिया, उस समय उन्होंने राजस्व एवं परिवहन विभाग का प्रभार संभाला हुआ था।
कांग्रेस विभाजन के बाद फरवरी 1970 में दूसरी बार वे कांग्रेस पार्टी के समर्थन से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। हालांकि राज्य में 2 अक्टूबर 1970 को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।
श्री चरण सिंह ने विभिन्न पदों पर रहते हुए उत्तर प्रदेश की सेवा की एवं उनकी ख्याति एक ऐसे कड़क नेता के रूप में हो गई थी जो प्रशासन में अक्षमता, भाई – भतीजावाद एवं भ्रष्टाचार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते थे। प्रतिभाशाली सांसद एवं व्यवहारवादी श्री चरण सिंह अपने वाक्पटुता एवं दृढ़ विश्वास के लिए जाने जाते हैं।
उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार का पूरा श्रेय उन्हें जाता है। ग्रामीण देनदारों को राहत प्रदान करने वाला विभागीय ऋणमुक्ति विधेयक, 1939 को तैयार करने एवं इसे अंतिम रूप देने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। उनके द्वारा की गई पहल का ही परिणाम था कि उत्तर प्रदेश में मंत्रियों के वेतन एवं उन्हें मिलने वाले अन्य लाभों को काफी कम कर दिया गया था। मुख्यमंत्री के रूप में जोत अधिनियम, 1960 को लाने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। यह अधिनियम जमीन रखने की अधिकतम सीमा को कम करने के उद्देश्य से लाया गया था ताकि राज्य भर में इसे एक समान बनाया जा सके।
देश में कुछ-ही राजनेता ऐसे हुए हैं जिन्होंने लोगों के बीच रहकर सरलता से कार्य करते हुए इतनी लोकप्रियता हासिल की हो। एक समर्पित लोक कार्यकर्ता एवं सामाजिक न्याय में दृढ़ विश्वास रखने वाले श्री चरण सिंह को लाखों किसानों के बीच रहकर प्राप्त आत्मविश्वास से काफी बल मिला।
दिनेश बलिया जी ने कहा – श्री चौधरी चरण सिंह ने अत्यंत साधारण जीवन व्यतीत किया और अपने खाली समय में वे पढ़ने और लिखने का काम करते थे। उन्होंने कई किताबें एवं रूचार-पुस्तिकाएं लिखी जिसमें ‘ज़मींदारी उन्मूलन’, ‘भारत की गरीबी और उसका समाधान’, ‘किसानों की भूसंपत्ति या किसानों के लिए भूमि, ‘प्रिवेंशन ऑफ़ डिवीज़न ऑफ़ होल्डिंग्स बिलो ए सर्टेन मिनिमम’, ‘को-ऑपरेटिव फार्मिंग एक्स-रयेद्’ आदि प्रमुख हैं।
रविकांत मालिक ने कहा -उनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था। एक जुलाई 1952 को यूपी में उनके बदौलत जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला। उन्होंने लेखापाल के पद का सृजन भी किया। किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया।
चौधरी चरण सिंह जी ने ऐसे अनेकों कार्य किए जिससे किसान, गरीब, मजदूर, बुनकरों को लाभ हुआ उन्होंने भारी उधोगो पर अधिक टेक्स लगाया तथा छोटे उधोगों खास कर बनकर, हस्तकर्घा पर टेक्सो में छूट प्रदान की जिससे बेरोजगारी दूर हो तथा गांव से शहर की ओर हो रहा पलायन रुके जिसकी आज बहुत अवश्यकता हैं।
सभा के बाद सभी ने बारी बारी से पुष्पांजलि अर्पित की।
इस अवसर – चौधरी रणधीर सिंह,वेद प्रकाश,सिकंदर, यशपाल मलिक, बृजपाल, शेलेंद्र पुनिया, कृष्ण कुमार, बीर पाल, रोहित बालियान, महक सिंह,विपिन, रकम सिंह, आजाद वीर, विनय,कामेश्वर राठी, रविन्द्र, हरपाल,धीर सिंह, नरेंद्र मालिक, जसवंत, शक्ति सिंह, प्रजलाद, सचिन, ऋषिपाल, जसवीर, नरेंद्र देशवाल, के पी सिंह, देवेंद्र कुंडू, सुकरम पाल, मनोज, रविन्द्र, प्रदीप, प्रभुराम, अजय राठी, राममेहर, नरपाल, नरेन्द्र, हरबीर, नवबहार, संजीव कुमार, आशीष, बसन्त कुमार, जीतू राठी, संजय मालिक, मनदीप, जितेन, संदीप, जितेंद्र सिंह, संजीव सिंह, सुशील जटराना, सोहनवीर राठी, संजील आर्य, धर्मेद्र बालियान, शक्ति वर्धन, डा० अनुपम वर्धन, दिनेश बलिया, निरंकार राठी, रविकांत मालिक, रवि कुमार, ऋषिपाल, सुखपाल पंवार, राजबीर पंवार, विकास कुमार, ओमप्रकाश, संतोष, सुग्रीव सिंह, अंगपाल सिंह, लोकेश पंवार, वीरेन्द्र सिंह, सुभाष मालिक आदि आदि ने अपनी सृद्धांजलि अर्पित की।