निःस्वार्थ सेवाभाव ही वैश्य बंधु समाज की पहचान -डॉ.विशाल गर्ग।
हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।
हरिद्वार। वैश्य बंधु समाज मध्य हरिद्वार द्वारा श्री महाराज अग्रसेन वार्षिकोत्व व पारिवारिक मिलन समारोह धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ गीत गोविंद बेंकट हाॅल में मनाया गया। दीप प्रज्जवलित कर मुख्य अतिथीयों ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस दौरान बालक बालिकाओं द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी गयी। कार्यक्रम में हास्य कवि दीपक गुप्ता ने हास्य कविताएं प्रस्तुत कर उपस्थित दर्शकों को खूब गुदगुदाया। पूर्व विधायक संजय गुप्ता को वैश्य रत्न से सम्मानित किया गया।
पूर्व विधायक संजय गुप्ता ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि महाराज अग्रसेन के आदर्शो का प्रचार प्रसार करते हुए वैश्य समाज की विचारधाराओं को मजबूती प्रदान करें। समाज में फैल रही कुरीतियों को समाप्त करने में मिलजुल कर ही प्रयास करने होंगे। आज के परिवेश में पारिवारिक मिलन समारोह नितांत जरूरी है। मतभेद भुलाकर समाज हित में सभी को अपना योगदान देना चाहिए। रूड़की नगर निगम के मेयर गौरव गोयल व लक्सर नगर पालिका अध्यक्ष अम्बरीश गर्ग ने कहा कि सामाजिक सरोकारों में बढ़-चढ़ कर अपना योगदान देना चाहिए। वैश्य बंधु समाज मध्य हरिद्वार के अध्यक्ष डॉ. विशाल गर्ग एवं पदाधिकारी सामाजिक गतिविधियों में बढ़-चढ़ कर अपनी हिस्सेदारी निभा रहे हैं। कोरोना काल में जरूरतमंदों की मदद करने में अग्रणी भूमिका निभायी है। समाज हित में सभी को अपना योगदान देना चाहिए।
वैश्य बंधु समाज मध्य हरिद्वार के अध्यक्ष डॉ. विशाल गर्ग ने वार्षिकोत्सव पारिवारिक मिलन समारोह में वैश्य समाज के अतिथियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि नि:स्वार्थ सेवाभाव से ही वैश्य बंधु समाज अपनी पहचान बनाए हुए है। महाराज अग्रसेन के जीवन दर्शन से सभी को सीख मिलती है। उनका जीवन आज भी प्रासंगिक है। डॉ. विशाल गर्ग ने कहा कि मनुष्य उत्थान में सभी को मिलजुल कर प्रयास करने चाहिए। वैश्य समाज राजनैतिक, सामाजिक एवं शिक्षा के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। राष्ट्र निर्माण में सभी को अपने प्रयास करने होंगे।
महामंत्री राजीव गुप्ता ने सभी अतिथियों का पटका पहनाकर स्वागत किया। हास्य कवि दीपक गुप्ता ने अगर मैं झूठ बोलूँ तो मेरा किरदार मरता है, जो बोलूँ सच तो फिर भूखा मेरा परिवार मरता है। रास्तों मुँह फेरकर मुझसे किनारा मत करो, एक दिन मैं मील का पत्थर बनूँगा देखना। और बेहतर और बेहतर ढूँढते हैं, आओ खुद को खुद के भीतर ढूँढते हैं। ये आँखें खुद-ब-खुद ही भीग जाती हैं अकेले में, कभी जब याद आते हैं पुराने डाँटने वाले, मशीनी दौर में जज््बात शायद मर चुके यारो, कहाँ मिलते हैं अब वो लोग सुख-दुख बाँटने वाले।
इस अवसर पर कमल अग्रवाल, आदित्य बंसल, डॉ. सुधीर अग्रवाल, वरूण अग्रवाल, विवेक गर्ग, विक्रम सिंह नाचीज, विनीत गुप्ता, शिवम बंधु गुप्ता, लोेकेश गुप्ता, महिला प्रकोष्ठ की इंदु गुप्ता, मीरा जैन, निधि बंसल, अनूप जिंदल, देवेश विश्नोई, शेखर गुप्ता, संजय अग्रवाल, पार्थ अग्रवाल, आदित्य बंसल, सतीशचंद गुप्ता, सत्यप्रकाश गुप्ता, प्रवण बंसल, रजत अग्रवाल आदि मौजूद रहे।
सांस्कृतिक प्रस्तुति देने वाले बच्चों को अतिथीयों द्वारा पुरूस्कृत किया गया।