स्वार्थपूर्ण हैं संसार के सम्बन्ध -शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती।
संसार में जितने भी प्रकार के सम्बन्ध हमें अपने आस-पास दिखाई देते हैं वे सब स्वार्थ से परिपूर्ण होते हैं। जब तक मतलब रहता है तब तक लोग आपसे व्यवहार करते हैं पर जैसे ही काम निकला वैसे ही सब सम्बन्ध निर्वाह समाप्त हो जाता है। केवल भगवान् ही एकमात्र ऐसे हैं जिनसे आप सम्बन्ध जोडोगे तो कभी घाटे में नहीं रहोगे।
उक्त उद्गार परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ‘1008’ ने चातुर्मास्य प्रवचन के अवसर पर चल रहे श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञानयज्ञ में विदुर कथा कहते हुए कही।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार धन समाप्त होने पर वैश्या प्रेम करना छोड देती है, कमजोर राजा को प्रजा छोड देती है, दक्षिणा मिलते ही पुरोहित यजमान को छोड देता है, ज्ञान मिलते ही शिष्य गुरु को छोड देता है, पक्षी फलहीन वृक्ष को छोड देते हैं, आग लगने पर पशु जंगल को तथा भोजन के बाद अतिथि घर को छोड देते हैं ऐसे ही संसार के सब सम्बन्ध भी एक दिन आपको छोड देने वाले हैं।
पूज्य शङ्कराचार्य जी महाराज ने श्रीविद्या के सन्दर्भ में कहा कि अनधिकारी को विद्या देना और अधिकारी को विद्या न देना दोनों ही पाप है। श्रीविद्या ऐसी गूढ विद्या है कि अनधिकारी यदि आपका राज्य लूटकर ले जाए तो भी नहीं देना चाहिए। इतना तक कि यदि कोई आपका सिर काटने को कहे तो भी आप सिर कटा लीजिए लेकिन अनधिकारी को श्रीविद्या न दें।
पूज्यपाद शङ्कराचार्य जी के प्रवचन के पूर्व , परम पूज्य शंकराचार्य जी महाराज की पादुका पूजन , आज की कथा के मुख्य यजमान के द्वारा किया
आज श्रीमद् भागवत कथा मुख्य के यजमान , केशव तिवारी एवं उनका परिवार रहा जो कि झिलमिली छिंदवाड़ा के निवासी हैं
प्रमुख रूप से चातुर्मास्य समारोह समिति के अध्यक्ष व निजी सचिव ब्रह्मचारी सुबुद्धानन्द जी, ज्योतिष्पीठ पण्डित आचार्य रविशंकर द्विवेदी शास्त्री जी, ऋषिकेश संस्कृत विद्यालय के उप प्राचार्य पं राजेन्द्र शास्त्री जी, ब्रह्मचारी निर्विकल्पस्वरूप जी आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संयोजन श्री अरविन्द मिश्र एवं संचालन ब्रह्मचारी ब्रह्मविद्यानन्द जी, परमहंसी गंगा आश्रम व्यवस्थापक सुंदर पांडे ने किया।
संदीप तिवारी भजन गायक कंजई के द्वारा ने सुमधुर गीत प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से पंडित अन्नू भैया, सोहन तिवारी, माधव शर्मा, रघुवीर प्रसाद तिवारी, राजकुमार तिवारी, पंडित आनंद उपाध्याय, बद्री चौकसे, नारायण गुप्ता, कपिल नायक सहित बड़ी संख्या में गुरु भक्तों की उपस्थिति रही हैै। श्रीमद्भागवत की आरती एवं प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।