जूना अखाड़े में 1000 नागा संत हुए दीक्षित, इस कठोर प्रक्रिया के बाद बने बर्फानी नागा, जानिए
गोपाल रावत
हरिद्वार। जूना अखाड़े में एक हजार नागा सन्यासियों को किया गया दीक्षित,कहलायेंगे बर्फानी सन्यासी
हरिद्वार। सन्यासियों के सबसे बड़े अखाड़े श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े में एक हजार नागा सन्यासियों के बनाने की प्रक्रिया मंगलवार को आचार्य पीठाधीश्वर द्वारा प्रेयस मंत्र प्रदान किये जाने के साथ ही सम्पूर्ण हो गया। इसके साथ ही सभी नव दीक्षित नागा सन्यासियों को बर्फानी नागा सन्यासी का दर्जा प्रदान किया गया।
जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय संरक्षक व अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि के दिशा-निर्देश एवं अन्र्तराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि के संयोजन में दीक्षित किये जाने का कार्यक्रम सम्पन्न हो गया।
अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि जी ने बताया कि अखाड़े द्वारा सनातन धर्म को मजबूत करने का कार्य लगातार किया जा रहा है। अखाड़े में सबसे महत्वपूर्ण माने जाने सन्यासियों को दीक्षित किये जाने की प्रक्रिया इसी का एक और प्रयास है। उन्होने सभी नवदीक्ष्ति सन्यासियों से अखाड़े के साथ साथ सन्यास परम्परा के अनुरूप चलने का आहवान किया।
गौरतलब है कि जूना अखाड़े में एक हजार से अधिक नागा सन्यासियों को दीक्षित किये जाने का सिलसिला सोमवार को सुबह प्रारम्भ हुई,सबसे पहले सभी चारों मढ़ियों चार, सोलह, तेरह व चैदह में दीक्षित होने वाले नागाओं की मुण्डन प्रक्रिया सुबह आठ बजे दुःखहरण हनुमान मंदिर के निकट स्थित धर्म ध्वजा तणियों के नीचे गंगा तट पर प्रारंभ हुई। मुंडन प्रक्रिया के बाद सभी नागाओं के द्वारा बिड़ला घाट पर गंगा स्नान किया गया। यहां गंगा स्नान से पहले संन्यासियों ने सांसरिक वस्त्रों का त्याग कर कोपीन दंड, कंमडल धारण किया। इस दौरान पंडियों द्वारा सभी नागाओं का स्नान के दौरान स्वयं का श्राद्व कर्म संपन्न कराया गया। जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत महेशपुरी ने बताया कि सोमवार को करीब एक हजार नागा संन्यासियों को दीक्षित करने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। नागा संन्यास प्रक्रिया प्रारंभ होने पर सबसे पहले सभी इच्छुक नागा संन्यासियों का मुण्डन प्रक्रिया प्रारंभ होने के बाद सभी ने गंगा स्नान किया। इस दौरान संन्यासियों ने स्नान करते हुए जीतेजी अपना श्राद्व तपर्ण ब्राह्मण पंडितों के मंत्रोच्चार के बीच किया। सभी नव दीक्षित नागा सन्यासी सायकाल धर्म ध्वजा पर पहुचे,जहां पर विद्वान पण्डितों द्वारा बिरजा होम की प्रक्रिया हुई। मध्य रात्रि साढे बारह बजे आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी धर्म ध्वजा पर पहुचे व हवन की पूर्णाहूति कराई। इसके बाद नव दीक्षित सन्यासियों को लेकर गंगातट पहुचे,जहा पर दण्ड कमंडल गंगा में विसर्जित कराया। मंगलवार तड़के सभी संन्यासी तट पर पहुंचकर स्नान कर संन्यास धारण करने का संकल्प लेते हुए गायत्री मंत्र के जाप के साथ सूर्य, चन्द्र, अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, दसों दिशाओं, सभी देवी देवताओं को साक्षी मानते हुए स्वयं को संन्यासी घोषित कर गंगा में 108 डुबकियाॅ लगाई। फिर आचार्य महामण्डलेश्वर ने सभी नव दीक्षित सन्यासियों को धर्मध्वजा पर आकर ओंकार उठाया। इसके बाद सभी नवदीक्षित नागा सन्यासियों का अपने अपने गुरूओं ने चोटी यानि शिखा विच्छेदन कर ले ली। इसके बाद सभी नागा सन्यासी मंगलवार को तड़के तीन बजे आचार्य गदद्ी कनखल स्थित हरिहर आश्रम पहुचे,जहां पर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी ने सभी को प्रेयस मंत्री देकर दीक्षित किया। ये सभी नवदीक्षित सन्यासी बर्फानी सन्यासी कहलायेंगे।