जूना अखाड़े के महामण्डलेश्वर हुये ब्रहमलीन,संतो में शोक,दी गयी भू-समाधि,जानिये कारण

गोपाल रावत


हरिद्वार। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के महामण्डलेश्वर श्रीमहंत विमलगिरि 45वर्ष ब्रहमलीन हो गए। उन्हे काॅगड़ी ग्राम स्थित श्रीमहंत प्रेमगिरि आश्रम में अखाड़े की सन्यास परम्परा के अनुसार भू-समाधि दी गयी। ब्रहमलीन महामण्डलेश्वर विमलगिरि महाराज जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज के अत्यन्त प्रिय शिष्यों में से थे। इसी कुम्भ 2021 में अप्रैल माह में आचार्य महामण्डलेश्वर श्रीमहंत अवधेशानंद गिरि महाराज ने उनका महामण्डलेश्वर पद पर पटट्ाभिषेक किया था। श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज ने उन्हे श्रद्वांजलि देते हुए बताया ब्रहमलीन महामण्डलेश्वर विमल गिरि युवा संत थे तथा लगभग 20वर्ष पूर्व वह उनके शिष्य बने थे। सनातन धर्म की रक्षा व अखाड़े की उन्नति व विकास कार्यो के लिए वह पूरे भारतवर्ष में भ्रमण करते रहते थे। उत्तर प्रदेश के पिलखुआ,बहराईच तथा बरेली में उन्होने समाज तथा सर्वहारा वर्ग के लिए आश्रम स्थापित किए थे। जहा शिक्षा,चिकित्सा की सुविधाओं के साथ साथ गौ-सेवा की जाती है। उनके निधन से जूना अखाड़े को अपार क्षति पहुची है। अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने ब्रहमलीन महामण्डलेश्वर विमल गिरि को सच्चा संत बताते हुए कहा जूना अखाड़े ने एक अत्यंत कमर्ठ,जुझारू तथा योग्य धर्माचार्य को खो दिया है। जिसकी हमेशा कमी महसूस की जाती रहेगी। वह अखाड़े का स्वर्णिम भविष्य थे। उनके इस असमय निधन से पूरा संत समाज स्तब्ध है।

भू-समाधि दिए जाने के अवसर पर अन्र्तराष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत महेशपुरी,श्रीमहंत मोहन भारती,थानापति रणधीर गिरि,आजाद गिरि,महंत गोविन्द गिरि,श्रीमहंत पशुपति गिरि सहित कई श्रद्वालु भक्तगण भी मौजूद थे।

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