इस आम का नाम क्यों पड़ा लंगड़ा आम, जानिए दिलचस्प कहानी…


लंगड़ा आम अपने अद्भुत स्वाद की वजह से तो दुनियाभर में मशहूर है लेकिन इसका नाम लंगड़ा कैसे पड़ा, इसके बारे में शायद बहुत कम लोगों को ही जानकारी होगी। आज हम आपको लंगड़ा आम की ही कहानी बताने जा रहे हैं। इसके अलावा हम इसकी पैदावार के बारे में भी कुछ अहम जानकारी देंगे। लंगड़ा आम की कहानी शुरू करने से पहले आपको ये जानना जरूरी है कि इसकी पैदावार उत्तर प्रदेश के बनारस में शुरू हुई थी। आम की ये वैरायटी करीब 300 साल पुरानी है।

बनारस के शिव मंदिर आए साधु ने लगाया था पेड़ बताया जाता है कि बनारस में स्थित भगवान शिव के एक मंदिर में पुजारी हुआ करते थे, उनके पैर खराब थे। पुजारी की इस दिव्यांगता के कारण ही लोग उन्हें लंगड़ा पुजारी के नाम से जानते थे। एक बार की बात है, एक साधु मंदिर में ठहरने के लिए आए और उन्होंने वहां आम के दो पौधे लगा दिए। साधु ने पुजारी से कहा कि जब पौधा बड़ा होकर पेड़ बन जाएगा और फल देना शुरू कर देगा तो इसका सबसे पहला फल भगवान शिव को अर्पित किया जाएगा। इसके अलावा साधु ने पुजारी से ये भी कहा कि वे इस पेड़ का फल किसी और को नहीं देंगे।

और फिर इस तरह पूरे बनारस में प्रसिद्ध हो गया लंगड़ा आम
कई साल बाद जब पेड़ ने फल देना शुरू किया तो पुजारी ने उन फलों से सबसे पहले भगवान शिव का भोग लगाया था। हालांकि, कुछ समय बाद बनारस के राजा ने भी पुजारी से आम ले लिए जबकि साधु ने उन पेड़ों के आम को किसी को भी देने से मना किया था। मंदिर का आम जैसे ही राजा के पास पहुंचा, वह धीरे-धीरे पूरे बनारस में मशहूर हो गया और लोग इसे पुजारी की दिव्यांगता को देखते हुए लंगड़ा आम कहने लगे। जिसके बाद से आम की इस वैरायटी का नाम ही लंगड़ा आम हो गया। भारत में लंगड़ा आम की पैदावार मुख्यतः उत्तर प्रदेश में होती है।

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