उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय एवं हेमवती नन्दन बहुगुणा चिकित्सा विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में 03 दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार प्रत्याशा-2023 का आयोजन…
हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।
हरिद्वार। ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय एवं हेमवती नन्दन बहुगुणा चिकित्सा विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में 03 दिवसीय अन्तर्राष्ट्रय सेमिनार “प्रत्याशा’-2023” का उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) सुनील कुमार जोशी एवं हेमवती नन्दन बहुगुणा चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) हेमचन्द्र पाण्डेय ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ किया तथा सेमिनार के सोविनियर का विमोचन भी किया गया।
उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति ने उदघाटन सत्र में सभी प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि इस सेमिनार से विश्व की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद एवं ऐलोपैथ चिकित्सा पद्धति का संयुक्त रूप से एक साथ शिक्षण ज्ञान प्राप्त करने का मौका मिलेगा। डॉ. सुनील जोशी ने कहा कि कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी में सम्पूर्ण विश्व में आयुर्वेद के प्रति अटूट विश्वास बढा है यदि हम अपनी चिकित्सा सेवा से सभी पद्धति मिलकर जनमानस को स्वस्थ्य रखने के लिये एक साथ काम करेंगे तो किसी भी बड़ी से बड़ी बीमारी का सही और समय से इलाज कर पायेंगें, जिसका जागता उदाहरण कोरोना काल में सभी ने देखा है।
हेमवती नन्दन बहुगुणा चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) हेमचन्द्र पाण्डेय ने कहा कि इस अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार के माध्यम से उत्तराखण्ड प्रदेश ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत में एक ऐसा सन्देश जायेगा कि प्राचीन चिकित्सा पद्धति एवं आधुनिक ऐलौपैथ चिकित्सा पद्धति एक साथ मिलकर एक ही प्लेटफार्म में संयुक्त रूप से एक दूसरे को सहयोग करते हुए अपनी अपनी पद्धति का ज्ञान का आदान प्रदान कर सकेंगे। डॉ. हेमचन्द्र पाण्डेय ने कहा कि सभी प्रतिभागियों के लिये लाइव डिटैक्सन डिमोन्स्ट्रैसन की जो व्यवस्था इस सेमिनार में की जा रही है यह अपने आप में अनूठी पहल है, जिसके माध्यम से छात्र-छात्राओं को जो ज्ञान अर्जित होगा उसका लाभ उनके शिक्षण जीवन में हमेशा रहेगा। डॉ. हेमचन्द्र पाण्डेय ने कहा कि भविष्य में इस प्रकार के आयोजन दोनों चिकित्सा पद्धति से संयुक्त रूप से किये जाते रहने चाहिए।
हेमवती नन्दन बहुगुणा चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलसचिव/संयुक्त निदेशक/विभागाध्यक्ष एनाटामी प्रो. (डॉ.) महेन्द्र कुमार पंत ने कहा कि एनाटामी/रचना शारीर चिकित्सा शिक्षण का मुख्य विषय है । जिसमें अधिक से अधिक इस प्रकार के आयोजनों की आवश्यकता होती है। डॉ. महेन्द्र पंत ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से मेडिकल छात्रों की एक प्रकार से नींव मजबूत की जा रही है क्योंकि शरीर रचना विषय का विशेष ज्ञान से मेडिकल छात्र भविष्य में अच्छा चिकित्सक बन पायेंगे।
सेमिनार के आयोजन सचिव शरीर रचना विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) नरेश चौधरी ने अवगत कराया कि इस तीन दिवसीय सेमिनार के माध्यम से मृत मानव शरीर के डिसेक्सन (शव-छेदन) द्वारा सभी प्रतिभागियों को सम्पूर्ण शरीर का विशेष रूप से ज्ञानार्जन कराया जाएगा साथ ही साथ स्नात्कोत्तर छात्र छात्राओं के शोध पत्रों का भी प्रस्तुतिकरण होगा। डॉ. नरेश चौधरी ने बताया कि इस सेमिनार में भारत के विभिन्न प्रदेशों के अतिरिक्त नीदरलैण्ड, स्विजरलैण्ड एवं स्पेन से भी प्रतिभागियों ने भी विशेष रूप से प्रतिभाग किया साथ ही साथ जापान से भी तीन प्रतिभागी इस सेमिनार में सम्मिलित होंगें।
सेमिनार में उत्तराखण्ड आयुर्वेद एवं यूनानी सेवाएं के निदेशक प्रो. (डॉ.) अरूण कुमार त्रिपाठी, उत्तराखण्ड आयु.वि.वि. के कुलसचिव प्रो. (डॉ.) अनूप कुमार गक्खड, गुरूकुल परिसर निदेशक प्रो. (डॉ.) पंकज शर्मा, ऋषिकुल परिसर निदेशक प्रो. (डॉ.) डी.सी. सिंह, सेवानिवृत्त वरिष्ठ संकाय सदस्य प्रो. (डॉ.) सम्पत तिवारी ने भी अपने अपने व्याख्यान दिये। सेमिनार मे लगभग 600 प्रतिभागियों के साथ साथ संकाय सदस्यों के साथ वर्चुअल माध्यमों से भी हजारों प्रतिभागी ने लाइव कार्यक्रम देखकर लाभ उठाया। सेमिनार में मुख्य रूप से संकाय सदस्यों प्रो. (डॉ.) के.के. शर्मा, प्रो. (डॉ.) ओ.पी.सिंह, प्रो. (डॉ.) खेमचन्द्र शर्मा, प्रो. (डॉ.) रूबी रानी अग्रवाल व अन्य गणमान्य शिक्षक उपस्थित रहे।