निर्मल अखाड़े की पेशवाई में हथिनी पवनकली होगी मुख्य आकर्षण-महंत जसविन्दर सिंह
हरिद्वार/ सुमित यशकल्याण
हरिद्वार । श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि अखाड़े में कुंभ मेले को लेकर तैयारियों की जा रही हैं। अखाड़े की साज सज्जा व संतों तथा श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए प्रबंध किए जा रहे हैं। 9 अप्रैल को अखाड़े की एकड़ कलां शाखा से भव्य रूप से पेशवाई निकाली जाएगी। पेशवाई के बाद 10 अप्रैल को अखाड़े में धर्म ध्वजा फहराई जाएगी। कनखल स्थित अखाड़े में प्रैस को जारी बयान में उन्होंने कहा कि अखाड़े की पेशवाई की शोभा बढ़ाने के लिए जल्द ही जोधपुर से हथिनी को लाया जाएगा। जो कुंभ मेले के दौरान आकर्षण का केंद्र भी होगी। महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि अखाड़े की एकड़ कलां शाखा से धूमधाम से निकलने वाली पेशवाई में पूरे देश के विभिन्न प्रांतों से जमात के संत बड़ी संख्या में मौजूद रहेंगे। अखाड़ों व संत महापुरूषों से ही कुंभ मेले की पहचान है। देश दुनिया से करोड़ों श्रद्धालु गंगा स्नान व संतों से आशीर्वाद लेने के लिए हरिद्वार आते हैं। इसको देखते हुए मेला प्रशासन को समय रहते सभी तैयारियां पूरी कर लेनी चाहिए। पतित पावनी मां गंगा के आशीर्वाद तथा मेला प्रशासन व संत समाज के समन्वय से कुंभ मेला दिव्य भव्य रुप से संपन्न होगा। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के उपाध्यक्ष महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री महाराज ने कहा कि 12 वर्ष के लंबे समय अंतराल के पश्चात कुंभ मेला आयोजित होता है। जिसकी प्रतिक्षा करोड़ों श्रद्धालु भक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि मेला प्रशासन अखाड़े के पेशवाई मार्ग को जल्द से जल्द दुरुस्त कराए। जिससे कुंभ मेले के दौरान संतो को किसी प्रकार की असुविधा का सामना ना करना पड़े। महंत अमनदीप सिंह महाराज ने कहा कि कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का गौरवशाली पर्व है। जो अनेकता में एकता को दर्शाता है। कुंभ मेले का आकर्षण विदेशी लोगों को भी भारत खींच लाता है। उन्होंने कहा कि नई हथिनी पवन कली के आने से कुंभ मेले की शोभा और बढ़ेगी और देश दुनिया में भारत का नाम रोशन होगा। उन्होंने कहा कि मेला प्रशासन एकड़ कला की सड़क व्यवस्था जल्द से जल्द दुरुस्त कराए। क्योंकि कुंभ मेले के दौरान आस्था का जनसैलाब हरिद्वार के लिए उमड़ता है। किसी भी श्रद्धालु भक्त को कोई परेशानी ना हो मेला प्रशासन से संत समाज ऐसी आशा रखता है।
इस दौरान महंत खेमसिंह, महंत बाबूसिंह, संत सुखमन सिंह, संत जसकरण सिंह, संत तलविंदर सिंह, संत शशीकांत सिंह, संत निर्भय सिंह आदि मौजूद रहे।