जैव विविधता का संरक्षण सतत विकास के लिए आवश्यक -डॉ. बत्रा।
हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।
हरिद्वार। हिमालय को देश की इकोलॉजिकल राजधानी माना जाता है। यह विचार जैव विविधता दिवस पर व्यक्त करते हुए हिमालय क्लब के अध्यक्ष एवं एसएमजेएन (पीजी) कालेज के प्राचार्य डॉ. सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि स्वस्थ वातावरण ही हमारे जीवन का आधार है।
जैव विविधता का संरक्षण सतत विकास के क्रम में अत्यधिक आवश्यक है, हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी भी इन प्राकृतिक संसाधनों का लाभ उठा सके। मानव जाति पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण उपभोक्ता है, विकास की उच्चतम उपलब्ध्यिां मनुष्य उसी समय प्राप्त कर पायेगा, जब वह प्राकृतिक सम्पदा का विवेकपूर्ण उपयोग करेगा। जैव विविधता का मानव जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है तथा इसके बिना जीवन की कल्पना भी संभव नहीं है, विश्व की 11 प्रतिशत आर्थिकी जैव विविधता पर निर्भर करती हैं।
डॉ. बत्रा ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में आक्रमणकारी प्रजातियों जैसे लेटाना क्रमारा, कैलेप्टोकार्पस वायलिस, हिपिट्स, पार्थेनियम आदि प्रजातियों का फैलाव बहुत तेजी से होने के कारण स्थानिक प्रजातियों के अस्तित्व पर भी गहरा संकट बना है। यह आक्रमणकारी प्रजाति न केवल खाद्य सुरक्षा के लिए चुनौती है अपितु पशुधन उपज की गुणवत्ता एवं उसकी मात्रा को भी प्रभावित कर रही है, इसकी रोकथाम के लिए जनभागीदारी ही महत्वपूर्ण उपाय है।
इस अवसर पर डॉ. सरस्वती पाठक ने कहा कि जैव-विविधता एक श्रृंखला है जिसमें अगर एक भी कड़ी टूटती है तो मानव जीवन संकट में पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि हमारा शरीर पंच मूलतत्व यानि जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी व आकाश से बना है। अतः इनके असन्तुलन से मानव जीवन पर भारी खतरा पैदा हो सकता है।
इस अवसर पर डॉ. जे.सी. आर्य, सी.ए. दीपक अग्रवाल, वैभव बत्रा, एम.सी. पांडे, डॉ. सुगन्धा वर्मा, रिकंल गोयल, अमिता मेहरोत्रा, दिव्यांश शर्मा, डॉ. लता शर्मा, आलोक कुमार, प्रिंस श्रोत्रिय आदि उपस्थित रहे।