हमारी संस्कृति में महिलाओं का सम्मान पुरुषों से अधिक -केंद्रीय मंत्री रुपाला।
दिल्ली। मंगलवार को महिला दिवस के अवसर पर नेहा प्रकाशन व एंजिल वेलफेयर ट्रस्ट की ओर से जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय युवा केन्द्र दिल्ली में एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस आयोजन में मुख्य अतिथि केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परषोत्तम रुपाला रहे। विशिष्ठ अतिथि के रूप में प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी, कुलपति, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार, डॉ. मोहसिन वली (पद्मश्री) डॉ. आशे सहाय रहे। कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. मधु के. श्रीवास्तव, लेखिका एवं पत्रकार रही। कार्यक्रम का आरम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ और श्रीमती रेणु अग्रवाल ने एक वंदना प्रस्तुत की। डॉ. मधु के. श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों, आमंत्रित कवियित्रियों और संभ्रात श्रोताओं, उपस्थित जनो का स्वागत किया। इस दिवस के उद्देश्य को सफल किया उन साहित्यिक रचनाधर्मी कवयित्रियों ने, जिनकी रचनाओं में सतरंगी सपने थे। कभी कश-म-कश तो कभी स्वर्गिक आनंद। कभी धूप तो कभी छांव। जीवन का असली यथार्थ यही है दौड़ते भागते कुछ हासिल भी करना है, जीना भी है और जीवन की प्रेरणा भी देनी है। इस दौर में जब चुटकुलों को कवि सम्मेलनों में सुनाया जा रहा है, जब फूहड़ कॉमेडी के नाम पर संस्कृति का विनाश किया जा रहा है तब कुछ नारियां हैं जो साहित्य के मर्म के धर्म को पहचानती है और विशुध्द साहित्य को पल्लवित और संरक्षित कर रही हैं। महिला दिवस के अवसर पर आयोजित इस समारोह में अपनी कविता सुनाने वाली साहित्यवृती कवयित्रियाँ सर्वश्रीमती सविता वर्मा, तूलिका सेठ, नामित राकेश, और कुसुम पालीवाल रही। खचाखच भरी दर्शक दीर्घा में बैठे श्रोताओं ने हर कविता पर दाद दी और कवयित्रियों का उत्साह बढ़ाया। मुख्य अतिथि श्री परशोत्तम रुपाला स्वयं इन कविताओं में डूब गए। यद्यपि उन्हें आवश्यक कार्य से जाना था लेकिन उन्होंने कहा बहनों को सुनकर ही जाऊंगा। महिलाओं के प्रति उनके इस भाव की सभी ने ताली बजाकर सराहना की। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर अपने विचार रखने वाले वक्ताओं में डॉ. आशे सहाय, डॉ.मंजू गुप्ता, डॉ. अनूप कुमार, डॉ. गोपाल नारसन आदि ने अपने विचार प्रकट किए।
इस अवसर पर डॉ. मोहसिन वली ने मुख्य अतिथि परशोत्तम रुपाला का नाम स्मरण कर सभी को चौंका दिया। डॉ. वली ने गुजराती में एक लोकगीत की दो पंक्तियां भी सुनाई। सभागार तालियों से गुंजायमान हो गया।
मुख्य अतिथि श्री परशोत्तम रुपाला ने नारी शक्ति को नमन किया। उन्होंने वेदों से, पुराणों से और भारतीय संस्कृति के कई उदाहरणों के माध्यम से बताया भारतीय नारी बराबरी का हक़ मांगकर अपने को छोटा न करे। उसे भारतीय संस्कृति में पहले ही ऊंचा दर्जा प्राप्त है वह किस बराबरी पर आना चाहती है? उन्होंने कहा पाश्चात्य लोगों ने इस विचार को हमारे देश मे फैला दिया और हम उस विचार को मान गए। जबकि उचित बात तो यह है कि भारतीय नारी विश्व पटल पर भारतीय दृष्टिकोण को आगे बढ़ाए कि भारत मे नारी का दर्जा बराबरी का नही बल्कि पुरुष से अधिक ऊपर है।
इस अवसर पर सभी महिला कवयित्रियों और वक्ताओं को नामानि गंगे संस्कृति सम्मान से सम्मानित किया गया। आयोजन को सफल बनाने में मदन थपलियाल, मुख्य सलाहकार, पूनम श्रीवास्तव, राजकुमार श्रीवास्तव, अनिरुद्ध, सुनील गौतम का विशेष आभार व्यक्त किया गया। आमंत्रित अतिथियों का आभार प्रदर्शन किया डॉ मधु के श्रीवास्तव ने।
कार्यक्रम का संचालन पार्थसारथि थपलियाल ने किया।