वैष्णव संतों ने किया अखाड़ा परिषद अध्यक्ष व महामंत्री का स्वागत, जानिए…
हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।
हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के नवनिर्वाचित अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज व महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज का वैष्णव संप्रदाय के संतों ने श्रवणनाथ नगर स्थित नरसिंह धाम आश्रम में जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज के सानिध्य में फूलमालाएं पहनाकर भव्य स्वागत किया और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
इस अवसर पर जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि वैष्णव अखाड़ों की परंपरांएं विश्व विख्यात हैं। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज एवं महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज दोनों ही धर्म शास्त्रों के ज्ञाता विद्वान संत तथा नेतृत्व क्षमता के धनी हैं। जिनके नेतृत्व में सभी संत एकजुट होकर राष्ट्र की एकता अखण्डता बनाए रखने के तथा धर्म संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अपनी भूमिका निभाएंगे।
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज व महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने सभी संतों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद संतों की सर्वोच्च संस्था है। संत परंपरांओं का पालन करते हुए राष्ट्र व धर्म रक्षा तथा गौ, गंगा संरक्षण के प्रति समाज को जागरूक किया जाएगा। अखाड़ों में समन्वय स्थापित सनातन धर्म के संरक्षण के लिए सभी को एकजुट किया जाएगा। उन्होंने कहा कि समाज में व्याप्त कुरीतियों के उन्मूलन के लिए अभियान चलाकर युवा पीढ़ी को नशे के खिलाफ जागरूक किया जाएगा। श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि प्रयागराज में हुआ अखाड़ा परिषद अध्यक्ष का चुनाव पूरी तरह अवैध है। उन्होंने कहा कि अखाडों का संचालन पंचायती व्यवस्था के तहत होता है। किसी एक व्यक्ति को अखाड़े के संबंध में निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन प्रयागराज में आयोजित बैठक में जिस प्रकार अखाड़े से बहिष्कृत संत के पत्र के आधार पर बहुमत का दावा किया गया उसे संत परंपरांओं के तहत किसी भी तरह उचित नहीं कहा जा सकता।
बाबा बलराम दास हठयोगी महाराज ने कहा कि कुछ संत पद प्रतिष्ठा के लालच में शादीशुदा व पारिवारिक जीवन व्यतीत करने वाले लोगों को संत के वेश में बैठक में शामिल कर बहुमत होने का दावा कर रहे हैं। उनका यह प्रयास पूरी संत परंपरा के खिलाफ है। इससे अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरी के परिवार से संबंध रखने वाले संतों के खिलाफ चलाए गए अभियान को भी आघात लगा है। ऐसे संतों को शर्म आनी चाहिए। जो पद के लालच में समाज को भ्रमित कर संत समाज की गरिमा को ठेस पहुंचा रहे हैं। जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज के शिष्य महंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज व श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज के नेतृत्व में अखाड़ा परिषद को नई ऊर्जा मिलेगी और धर्म संस्कृति का उत्थान होगा। महंत विष्णुदास व महंत रघुवीर दास महाराज ने कहा कि सनातन धर्म की परंपरांओं को आगे बढ़ाने में श्रीमहंत रविन्द्रपरी एवं श्रीमहंत राजेंद्रास महाराज अपनी अहम भूमिका निभाएंगे।
इस दौरान साध्वी विजय लक्ष्मी, साध्वी जयश्री, श्रीमहंत विष्णुदास, श्रीमहंत रामकिशोर दास शास्त्री, महंत रघुवीर दास, महंत गोविंददास, महंत हरिदास मालाधारी, महंत प्रह्लाद दास, महंत प्रमोद दास, महंत रामदास, स्वामी कमलेश्वरानंद, महंत बिहारी शरण, महंत अंकित शरण, महंत दुर्गादास, महंत सूरज दास, उड़िया बाबा, महंत प्रेमदास आदि संतजन तथा समाजसेवी गौरव गोयल मौजूद रहे।